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मनोरंजन : सत्यप्रेम की कथा रिलेशनशिप में रेप और लोगों के रवैये को दिखाती है फिल्म

कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी की फिल्म सत्यप्रेम की कथा कई दिनों से चर्चा में थी। 29 जून को फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। टीजर और ट्रेलर में बॉलीवुड की आम तरह की रोमांटिक फिल्म दिखने के कारण इसकी ट्रोलिंग भी हो रही थी। हालांकि, निर्माताओं ने ट्रेलर और गानों में फिल्म के असल विषय की भनक भी नहीं होने दी। आइए, जानते हैं कैसी है समीर विद्वंस के निर्देशन में बनी यह फिल्म।
कथा अपने अतीत के कारण सदमे में है और आत्महत्या की कोशिश करती है। पुराने रिलेशनशिप के कारण उसके पिता उसे बोझ समझते हैं। पिता के दबाव में कथा अपने एकतरफा प्रेमी सत्यप्रेम (कार्तिक) से शादी करती है, लेकिन किसी न किसी बहाने उससे शारीरिक रूप से दूर भागती है। सत्यप्रेम और कथा को करीब लाने की कहानी में यह फिल्म प्यार में यौन संबंध, रेप और विक्टिम ब्लेमिंग जैसे विषयों को उठाती है।

एक खास मसखरे अंदाज को कार्तिक अपना स्टाइल बना चुके हैं। इस फिल्म में भी वह वैसे ही नजर आए। कॉमेडी और अल्हड़पन में उनका चिर-परिचित अभिनय देखने को मिला। भावुक दृश्यों में वह कच्चे लगते हैं। चूंकि उनका किरदार एक मजबूत संदेश देता है, इसलिए इन गलतियों के बाद भी दृश्य मजबूत ही बने रहते हैं। एक दृश्य में कार्तिक एक रेपिस्ट को पीटते हैं। इस एक दृश्य में उनका अभिनय बाकी सारी कमजोरियों की भरपाई कर देता है।

कार्तिक की शिकायत थी कि कई हिट फिल्मों के बाद भी प्रोड्यूसर उन्हें प्यार का पंचनामा के प्रॉब्लम वाले मोनोलॉग के लिए पहचानते थे। उनके दर्शक भी अब इस मोनोलॉग से परेशान हो चुके हैं। इस फिल्म में भी उनका यह मोनोलॉग बेवजह आता है।

फिल्म में कियारा का किरदार मानसिक सदमे में है। वह न सिर्फ अपने अतीत की वजह से परेशान है, बल्कि समाज के सवालों और पंचायत का भी सामना कर रही है। इन सभी इमोशन को कियारा ने शानदार तरीके से उतारा है। सेक्स को लेकर उनका गुस्सा और डर जहन में उतरता है। सत्यप्रेम की दोस्त और फिर प्रेमिका के रूप में भी उनकी केमिस्ट्री अच्छी लगती है। ग्लैमर और डांस के साथ वह पर्दे पर ऑल-राउंडर रहीं।

फिल्म गुजराती पृष्ठभूमि पर बनी है। गजराज राव, सुप्रिया पाठक, शिखा तलसानिया अपने-अपने किरदारों बेहतरीन नजर आए। फिल्म में राजपाल यादव का कैमियो भी है।

फिल्म का संगीत मस्ती-मजाक से लेकर फिल्म को रेप जैसे गंभीर विषय के रोलर कोस्टर पर लेकर चलता है। संगीत से ही सत्यप्रेम का एकतरफा प्यार उभरकर आता है, संगीत से ही कथा का सदमा डराता है। संवाद कहीं कच्चे, तो कहीं गंभीर संदेश देने वाले हैं। फिल्म रेप और उस पर समाज और परिवार की प्रतिक्रिया पर कई संदेश देती है। फिल्म के दृश्यों को निर्देशक ने बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है।
रिलेशनशिप बॉयफ्रेंड को रेप करने का अधिकार नहीं देता। फिल्म कथा के संवादों से इस संदेश को मजबूती से रखती है। जिंदगी भर के शोक से अच्छा 13 दिनों का मातम है। गलत ये है कि मुझमें अपनी जान देने की हिम्मत आ गई, लेकिन पेपर पर साइन करने की हिम्मत नहीं है। ऐसे कई संवादों से फिल्म रेप विक्टिम के प्रति परिवार और समाज की प्रतिक्रिया को सामने लेकर आती है।

फिल्म एक गंभीर और जरूरी विषय पर बनी है। कथा की तकलीफ डराने वाली हैं। ऐसे में कई जगह इसमें रोमांस और कॉमेडी जबरदस्ती घुसाई हुई लगती हैं। फिल्म के गाने सत्यप्रेम और कथा का रिश्ता आगे बढ़ाते हैं, लेकिन ये फिल्म के मुद्दे के साथ नहीं जचते हैं। गानों की अति भी इसकी कमजोरी है। रह-रहकर आने वाले रोमांटिक गाने बेवजह के लगते हैं। कार्तिक को दी गई कॉमेडी फिल्म के लिए बिल्कुल गैर-जरूरी थी।

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