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गढ़वाल कमीशनर की निगरानी में होगी स्वर्ण मण्डित केदारनाथ मंदिर गर्भ गृह की जांच

देहरादून। प्रदेश के पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मण्डित करने से उठे विवाद और अफवाओं को विराम लगाते हुए सचिव धर्मस्व को निर्देश देकर गढ़वाल कमीशनर की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कर मामले की तह तक पहुंचने के निर्देश दिए हैं।

प्रदेश के पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मण्डित करने से उठे विवाद और अफवाओं को विराम लगाते हुए शुक्रवार को सचिव धर्मस्व को निर्देश देकर गढ़वाल कमीशनर की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। जांच कमेटी में तकनीकी विशेषज्ञों के साथ-साथ सूनार को भी शामिल करने की बात कही गई है।

महाराज ने कहा कि विपक्षी दल आस्था से जुड़े इस मामले को अनावश्यक तूल देकर चारधाम यात्रा में खलल डालने की कुचेष्ठा न करे। गढ़वाल कमीशनर की अध्यक्षता में जांच कमेटी के गठित करने के निर्देश दिए जा चुके हैं जो भी दोषी पाया जायेगा उसके विरुद्ध कार्यवाही की जायेगी।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार धार्मिक आस्था से जुड़े इस मामले को लेकर बेहद संवेदनशील है। मेरा विनम्र आग्रह है कि इस प्रकार के मामलों को विवादों में न डाला जाए। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम-1939 में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप ही दानी दाता से दान स्वीकारा गया है और श्री केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने के लिए प्रदेश शासन से अनुमति ली गई।

महाराज ने कहा कि भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देख देख में ही स्वर्ण मंडित करने का कार्य किया गया था। बीकेटीसी द्वारा केदारनाथ मन्दिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने की अनुमति दानी दाता की पावन भावना के अनुरूप दी गई। मीडिया सलाहाकार निशीथ सकलानी की ओर जारी प्रेस बयान में यह भी स्पष्ट किया है कि गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने का कार्य स्वयं दानी दाता ने अपने स्तर से किया है। दानी दाता द्वारा अपने स्तर से ज्वैलर्स से तांबे की प्लेटें तैयार करवाई गई और फिर उन पर सोने की परतें चढ़ाई गईं। दानी दाता ने अपने ज्वैलर्स के माध्यम से ही इन प्लेटों को मंदिर में स्थापित कराया।

सोना खरीदने से लेकर गर्भ ग्रह की दीवारों पर जड़ने तक का सम्पूर्ण कार्य दानी द्वारा कराया गया। मन्दिर समिति की इसमें कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी। स्वर्ण व तांबे की प्लेटों के आधिकारिक बिल व बाउचर भी बीकेटीसी को कार्य पूर्ण होने के पश्चात दे दिए गए थे। बहरहाल सच्चाई जो भी हो उसका पता लगाया जाएगा और जांच कमेटी की जांच के पश्चात ही आगे की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

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