मोटापा हो या डायबिटीज, हाई बीपी हो या दिल की बीमारी. इन सभी के पीछे हमारा गलत लाइफस्टाइल एक बहुत बड़ी वजह बनता जा रहा है.गलत जीवनशैली और खान पान की लापरवाही के चलते कई तरह गंभीर बीमारियों के खतरे तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी जर्नल में पब्लिश एक स्टडी की रिपोर्ट इस बारे में कई आंकड़े पेश करती है. इस राष्ट्रव्यापी शोध के अनुसार हमारे देश के कुल 11.4 फीसदी लोग डायबिटीज से पीडि़त हैं और दूसरी तरफ देश भर की 35.5 आबादी हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप जिसे हाई बीपी भी कहते हैं, इससे ग्रसित हो चुकी है.
तेजी से बढ़ रहा है मोटापा
आपको बता दें कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर और अन्य गैर सरकारी मेडिकल संस्थानों के सहयोग से मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन ने इस अध्ययन को कराया. इसमें पाया गया है कि भारत में मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है और अब ये आंकड़ा देश भर का कुल 28.6 फीसदी हो चुका है. जैसा कि हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं मोटापा यानी ज्यादा वजन डाइबिटीज और हाइपरटेंशन दोनों का ही मुख्य कारण माना जाता रहा है.मेडिकल विशेषज्ञों ने इस बात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर ऐसा ही रहा और सही प्रबंधन नहीं किए गए तो आने वाले दिनों में शुगर औऱ दिल संबंधी बीमारियों का बोझ देश पर काफी तेजी से बढ़ सकता है.
नॉन कम्यूनिकेबल बीमारियों का बढ़ा जोखिम
इस अध्ययन में कहा गया है कि 2008 से 2020 तक देश के 31 राज्यों में ये सर्वे किया गया. इस सर्वे में 1.1 लाख लोगों को शामिल किया गया. इस सर्वे का निष्कर्ष कहता है कि देश में नॉन कम्यूनिकेबल रोगों का जोखिम तेजी से बढ़ा है. एनसीडी की बात करें तो इस श्रेणी में ऐसे रोग आते हैं जो इंफेक्शन, बैक्टीरिया या अन्य किसी माध्यन से फैलते नहीं है.
15.3 फीसदी लोग हैं प्री डायबेटिक
इन रोगों में डायबिटीज और हाइपरटेंशन सबसे प्रमुख रोग कहे गए हैं. पूरी दुनिया में तो ये दोनों रोग तेजी से फैल ही रहे हैं. भारत में भी इनकी रफ्तार काफी तेज है. लासेंट सर्वे के अनुसार देश के 15.3 फीसदी लोगों को प्री-डायबिटीज है. सामान्य भाषा में कहें तो ये लोग ये लोग डाइबिटीज के प्रोन मरीज है यानी इन लोगों को भविष्य में जल्दी डायबिटीज हो सकता है.