नई टिहरी। पतंजलि गुरुकुलम मूल्यागांव के स्थापना दिवस पर योगगुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि गुरुकुल पद्धति में विद्यार्थियों पर ज्ञान का बोझ नहीं बोध डाला जाता है। पतंजलि में हर जाति वर्ग के विद्यार्थी प्रवेश लेकर शास्त्रों का अध्ययन कर सकते हैं। स्वामी रामदेव ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। पतंजलि सेवाश्रम मूल्या गांव देवप्रयाग में स्वामी रामदेव, संन्यासियों, साध्वियों ने गुरुकुल छात्र-छात्राओं और क्षेत्रीय जनता को सम्बोधित किया। स्वामी रामदेव ने कहा कि सनातन धर्म की सबसे बड़ी संपदा हमारे शास्त्र हैं। पतंजलि गुरुकुलम में हर विद्यार्थी को प्रमुख 21 शास्त्रों को कंठस्थ याद करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि गुरुकुलम में कई ऐसे विद्यार्थी है, जिन्होंने एक दिन में ही सम्पूर्ण भगवतगीता को याद किया है। कहा हिमालय और देवप्रयाग को धर्म का गौरव बताया। कहा कि बिच्छू घास(कंडाली) का भी पतंजलि औषधीय उपयोग करेगा। देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी ने कहा उनकी विधान सभा में पतंजलि गुरुकुल स्थापित होने से देवप्रयाग को विश्व पटल पर नई पहचान मिली है। भारतीय शिक्षा बोर्ड चैयरमैन के एनपी सिंह ने पतंजलि को भारतीय योग की वृहद प्रयोगशाला बताया। गुरुकुलम की प्रधानाचार्य साध्वी देवश्रुति ने कहा कि देशभर में गुरुकुल के विद्यार्थियों की उपलब्धियों को रखा गया। स्वामी रामदेव ने केंद्रीय संस्कृत विवि परिसर के निदेशक प्रो. सुब्रह्ममणियम, राजकीय महाविद्यालय प्राचार्य प्रो प्रीति कुमारी, पालिकाध्यक्ष कृष्णकान्त कोटियाल, नक्षत्र वेधशाला प्रबन्धक डॉ. प्रभाकर जोशी, रेंजर दीक्षा भट्ट, तहसीलदार मानवेंद्र वर्तवाल आदि को शाल माला से सम्मानित किया। साथ ही शास्त्रीय स्पर्धा के विजेता, संस्कृत आधारित गीत, नृत्य, मार्शल आर्ट, योगासन प्रस्तुति देने वाले हरिद्वार, रांची, मुल्यागांव गुरुकुलम के विधार्थियो को पुरस्कृत देकर सम्मानित किया। मौके पर देवश्रीता, देव विभूति, देव सुता, ईशदेव महाराज, प्रदीप शर्मा, सरोज ढोंडियाल, प्रदीप राणा, गीता गुप्ता , शिखा, अर्चना, अरविंद शुक्ला, शिवांगी, चमनी भंडारी सहित बड़ी संख्या में साधु, साध्वी उपस्थित थे।
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