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AnuragGupta
विकासनगर। शंकरपुर में चार वर्षीय बच्चे को निवाला बनाने वाले गुलदार के आतंक से क्षेत्र के लोग पूरी तरह से उबर भी नहीं पाये हैं, कि औद्योगिक क्षेत्र सेलाकुई के पॉश इलाके प्रगति विहार में एक और गुलदार की धमक शुक्रवार रात को लोगों को दिखाई दी। गुलदार की धमक से लोगों में दहशत का माहौल है। लोग बेहद डरे व सहमे हुए है। शुक्रवार देर रात करीब साढ़े आठ से नौ बजे के बीच प्रगति विहार सेलाकुई के तिराहे पर लोगों को एक और गुलदार दिखाई दिया। जिससे लोग डरे हुए हैं। स्थानीय लोगों ने पुलिस व क्षेत्रीय विधायक सहदेव सिंह पुंडीर को सूचना दी। जिसके बाद विधायक प्रतिनिधि अनिल नौटियाल सहित बड़ी संख्या में लोग, पुलिस व वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। देर रात वन विभाग की टीम सर्च लाइट के सहारे गुलदार को झाड़ियों व आसपास के क्षेत्रों में तलाशती रही, लेकिन गुलदार का पता नहीं चल पाया है। गुलदार की धमक से अब लोगों में दहशत पैदा हो गई है। हाल में बीती छह मई शनिवार को सेलाकुई से सटे शंकरपुर गांव व आसपास के क्षेत्र में आतंक के पर्याय बने गुलदार ने एक चार वर्षीय बच्चे को महमूदनगर शंकरपुर में निवाला बना दिया था, जिसे वन विभाग ने तीन दिन पहले पिंजरे में कैद कर हरिद्वार के चिड़ियापुर के जंगल में छोड़ दिया है, लेकिन अभी गुलदार के आतंक से लोग पूरी तरह से उबर नहीं पाए हैं। सेलाकुई में एक और गुलदार आ धमका है, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है। लोग बुरी तरह से डरे व सहमे हैं। स्थानीय लोगों ने विधायक प्रतिनिधि अनिल नौटियाल, पूर्व प्रधान भगत सिंह, शूरवीर सिंह चौहान, विजय पाल सिंह बर्तवाल आदि ने वन विभाग को समय रहते गुलदार को काबू करने की मांग की है। कहा कि गुलदार इससे पहले क्षेत्र में कोई जनहानि पहुंचाये गुलदार को पकड़ कर क्षेत्र से दूर किया जाय। उधर, रेंज अधिकारी झाझरा विजेंद्र सिंह गुसाईं ने बताया कि करीब दो बजे रात तक वन विभाग की टीम गुलदार को क्षेत्र में तलाशती रही, लेकिन गुलदार फिर नजर नहीं आया। कहा कि ऐसा हो सकता है गर्मी में गुलदार को पानी न मिला हो और वह आसन नदी में पानी पीने के लिए पहुंचा हो। कहा कि वन विभाग की टीम लगातार लोगों को जागरूक कर रही है। लोगों को बताया कि अपने घरों के बाहर रात्री के समय लाइट जलाकर रखें। बच्चों को अकेले बाहर न आने दें। कहा कि वन कर्मी लगातार गश्त कर रहे हैं। शनिवार सुबह को टीम गश्त पर गई थी। कहा कि गुलदार का क्षेत्र बीस किमी के दायरे में होता है। दोबारा यदि क्षेत्र में देखा जाता है तो पिंजरा लगाया जायेगा।