Hamarichoupal,12,05,2023
देहरादून। सरकारी अस्पतालों में सेवा, समर्पण और संवेदना के साथ नर्सिंग स्टाफ मरीजों की सेवा में जुटी हैं। फ्लोरेंस नाइटेंगल से लेकर मदर टेरेसा जैसे भाव से मरीजों को नया जीवन दे रही हैं। कोरोनाकाल में इन्होंने डर के बीच जज्बे से हजारों मरीजों को नया जीवन दिया। जिला अस्पताल में 65 फीसदी पदों के खाली होने से उन पर बेहिसाब काम का बोझ है। जिला अस्पताल में गायनी विंग में सबसे ज्यादा, पीएनसी वार्ड बंद करा दिया है। सर्जिकज में ही मर्ज करा रखा है। आईसीयू की प्रभारी नहीं है। निक्कू भी नहीं चल रहा है। ओटी में कई समस्याएं हैं।
दून अस्पताल में भी 17 फीसदी स्टाफ की कमी बनी है। यहां आउटसोर्स के स्टाफ से काम चला रहे हैं। गायनी में एक नर्सिंग स्टाफ के भरोसे 30 से 40 मरीज रहते हैं। 13 हजार के वेतन और वह भी समय से नहीं मिलने से आउटसोर्स में निराशा का भाव है। दून में कई ओटी एवं आईसीयू के संचालन में दिक्कत है। प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने कहा कि गायनी में पुरूष से स्टाफ दे रहे हैं। नियमित भर्तियां होने वाली है। उधर, कोरोनेशन से डिमांड डीजी हेल्थ को भेजी है।
ये है स्थिति
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डिप्टी नर्सिंग सुपरीटेंडेंट के पांचों, असिस्टेंट नर्सिंग सुपरीटेंडेंट के 12 में से 11, मैटर्न का एक, सीनियर नर्सिंग ऑफिसर के 50 से 25 पद खाली है। नर्सिंग ऑफिसर के 344 पदों के सापेक्ष 320 की तैनाती है, इनमें से 205 आउटसोर्स एवं उपनल से है। जिला अस्पताल कोरोनेशन में आईपीएचएस मानक के तहत 135 नर्सिंग स्टाफ होना चाहिए। लेकिन महज 35 फीसदी यानि 48 स्टाफ है।
नर्सेज संघ की प्रांतीय अध्यक्ष मीनाक्षी जखमोला, महामंत्री कांति राणा का कहना है कि जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज कहीं पर भी स्टाफ पूरा नहीं है। एक नर्सिंग स्टाफ को 30 से 40 मरीजों की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ती है। जिससे उनको तनाव रहता है। आउटसोर्स पर कम वेतन में स्टाफ कम मिल रहा है, एक्सपर्ट स्टाफ नहीं मिलता। 2700 पद खाली है, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में भर्तियां जल्द पूरा कराने की मांग की गई है।
ये हैं मानक
गैर शैक्षिक संस्थान में तीन मरीज पर एक नर्स, सामान्य अस्पताल में दस बेड पर एक नर्स, आईसीयू प्रति बेड के हिसाब से अस्पताल में तैनाती हो, वेंटीलेटर यूनिट में हर बेड पर एक नर्स अनिवार्य, डे केयर वार्ड में एक नर्स होना अनिवार्य