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बाल अधिकार के लिए जागरूकता जरूरी: आरपी गुप्ता

बाल अधिकार जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन।

देहरादून। 7 मई। बिपिन नौटियाल। दीपाली बाल शिक्षा एवं किशोरी सिलाई संस्कार केंद्र ने बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए दीपाली फाउंडेशन एवं नेक्स्ट जेनरेशन कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी सोसायटी के संयुक्त तत्वाधान में बाल संरक्षण, सुरक्षा और बाल अधिकार विषय पर रविवार को सामुदायिक भवन, ब्राह्मण वाला में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान बच्चों को गुड एवं बेड टच के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई साथ ही अनजान व्यक्ति के द्वारा की गई दुर्व्यवहार के लिए अभिभावकों को अभिलंब सूचित करने के लिए प्रेरित किया गया। आयोजित
कार्यशाला में मुख्य अतिथि आरपी गुप्ता, निदेशक, प्राविधिक शिक्षा उत्तराखंड एवं विशिष्ट अतिथि डॉ अमित अग्रवाल, निदेशक, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी संस्थान, टनकपुर एवं विशिष्ट अतिथि डॉ पवन पारस, महासचिव, नेक्स्ट जनरेशन कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी सोसाइटी रहे। कार्यक्रम का संचालन दीपाली शुक्ला ने किया। कार्यशाला में विद्यार्थियों को बाल यौन शोषण और बच्चों पर इसके बुरे प्रभावों के बारे में ज्ञान और जानकारी के साथ सशक्त रहने की बात कही। साथ ही चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 के बारे में अवगत कराया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि आरपी गुप्ता ने कहा कि बाल सुरक्षा के लिए जागरूकता आवश्यक है और समाज के हर वर्ग के लोगों को बाल अधिकार की रक्षा के लिए जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चे का जन्म से पूर्व ही अधिकार शुरू हो जाता है। इसमें प्रतिष्ठापूर्वक जीने, स्वास्थ्य, लालन-पालन, शिक्षा आदि मुख्य हैं। बच्ची के जन्म से ही महिला अधिकार लागू हो जाता है। उनके भी मौलिक अधिकार हैं। उन्होंने कहा कि यदि आपके सामने किसी बच्चे के साथ कोई शोषण या फिर अत्याचार हो रहा है तो चाइल्ड लाइन नंबर 1098 पर इसकी सूचना दें। सूचना मिलते ही चाइल्ड लाइन की टीम तुरंत एक्टिव हो जाएगी, और उसकी मदद की कोशिशें शुरू कर देगी। वहीं विशिष्ट अतिथि डॉ अमित अग्रवाल ने कहा कि बाल अधिकार के लिए जिलास्तर पर किशोर न्यायालय का गठन किया गया है। इसके अलावा बच्चों के शोषण,अन्य गैर कानूनी कार्यो में लगाने, अवैध मानव व्यापार से बच्चों को बचाने और संरक्षण देने के लिए जिला स्तर पर विशेष जुबिनाइल पुलिस यूनिट का गठन किया गया है। इसमें पुलिस निरीक्षक विशेष पदाधिकारी होते हैं और स्वयंसेवी महिलाएं भी सदस्य होती हैं। उन्होंने कहा कि 16 वर्ष तक की बालिका का अगर सहमति से भी शारीरिक शोषण होता है तो वह गैरकानूनी माना जाता है। उसी प्रकार 18 वर्ष तक की लड़की का अपहरण अगर सहमति से भी किया जाए तो वह अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने उम्र निर्धारण सहित अनेक प्रावधानों पर विस्तृत प्रकाश डाला।

इस अवसर पर दीपाली फाउंडेशन की अध्यक्ष प्रीति शुक्ला ने कहा कि भारत का संविधान छह से चौदह वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए कानून, मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के साथ समानता सहित कई अधिकारों की गारंटी देता है। बच्चों की तस्करी और जबरन श्रम पर प्रतिबंध और कम उम्र के बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने कहा कि जीवन जीने का अधिकार, विकास का अधिकार एवं सहभागिता का अधिकार आपको स्वयं भी लेना है और अपने जैसे अन्य बच्चों को जिनके अधिकारों का हनन हो रहा है उनको अधिकार दिलाना है। इसके साथ ही बाल विवाह, बाल श्रम, भिक्षावृत्ति जैसे अपराधों के कारण अधिकारों का हनन हो रहा है जिसका आपको विरोध भी करना है और समय रहते सूचना भी देनी है। साथ ही बालिकाओं को चुप्पी तोड़ने और अपनी बात को निसंकोच बोलने के लिए प्रेरित किया गया। कार्यशाला के अंत में 51 बच्चों को स्कूल बैग नोटबुक, मिष्ठान आदि का वितरण किया गया। इस अवसर पर नेक्स्ट जनरेशन कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी सोसाइटी के महासचिव डॉ पवन पारस ने बताया कि उनकी सोसाइटी निरंतर सामाजिक विकास एवम उत्थान में कार्यरत है और सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ मनीष प्रतीक के नेतृत्व में समाज को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, कार्यक्रम में 57 बच्चों ने भाग लिया। आयोजित कार्यक्रम में मनोज कुमार,अखिलेश कुमार, राकेश चमोली, पूजा नौटियाल, नमन, नीरज जोशी, निमिषा आनंद, रजनी, सोनी, उषा सैनी, रिंकी देवी, नीतीश, देवराज, अमन ,अंकुश, अर्जुन,नायरा अंकिता, रिया, अंश, इनिका शर्मा, नंदिनी, जितेंद्र आदि स्थानीय लोग उपस्थित रहे।

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