AnuragGupta
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने नई आबकारी नीति 2025 को मंजूरी दे दी है, जिसमें धार्मिक स्थलों के पास स्थित शराब की दुकानों को बंद करने और वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य निर्धारित करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय शामिल हैं।
धार्मिक स्थलों का सम्मान:
नई नीति में धार्मिक स्थलों की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए उनके आसपास की शराब की दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया गया है। यह कदम जन भावनाओं का सम्मान करने और राज्य में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
राजस्व लक्ष्य:
राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य रखा है। पिछले कुछ वर्षों में राज्य के आबकारी राजस्व में लगातार वृद्धि देखी गई है, और सरकार को उम्मीद है कि नई नीति से इस वृद्धि को और गति मिलेगी।
अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान:
* शराब की दुकानों पर ओवररेटिंग रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। यदि कोई दुकान एमआरपी से अधिक कीमत वसूलती पाई जाती है, तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
* पहाड़ी क्षेत्रों में वाइनरी इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट दी जाएगी। इससे स्थानीय किसानों और बागवानी क्षेत्र को लाभ होगा।
* स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए थोक शराब लाइसेंस केवल उत्तराखंड के निवासियों को ही जारी किए जाएंगे।
* स्थानीय कृषि उत्पादों का उपयोग करने के लिए डिस्टिलरी को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
* शराब के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे।
पारदर्शिता और जवाबदेही:
नई आबकारी नीति में पारदर्शिता और जवाबदेही पर विशेष ध्यान दिया गया है। दुकानों का आवंटन नवीनीकरण, लॉटरी और अधिकतम बोली जैसी पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाएगा।
आर्थिक विकास और सामाजिक जिम्मेदारी:
नई आबकारी नीति का उद्देश्य राज्य के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी को भी सुनिश्चित करना है। यह नीति राज्य में निवेश और रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी, साथ ही शराब के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए भी काम करेगी।