Hamarichoupal,04,04,2023
अनुराग गुप्ता
देहरादून। हाईकोर्ट के आदेश बाद भी राजीव भरतरी को चार्ज लेने के लिए मशक्कत करनी पडी । राजीव मंगलवार को चार्ज लेने ठीक दस बजने को दस मिनट पर पहुचं गये थे लेकिन विभागीय कर्मचारियों के न आने के कारण कार्यालय का दरवाजा नहीं खुला। वहा ताला लटका हुआ था। भरतरी चार्ज लेने की जद्दोजहद में लगे हुए थे। जो कर्मचारी वहां मौजूद थे वह बता रहे थे कि कार्यालय की चाबी गायब है।
बताते चलें कि उत्तराखंड सरकार को हाईकोर्ट ने बड़ा झटका देते हुए राजीव भरतरी को वन मुखिया का चार्ज लेने के आदेश दिए। खास बात यह है कि हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुबह 10 बजे राजीव भरतरी को चार्ज देने के लिए भी कह दिया है। चीफ जस्टिस विपिन सांघी की कोर्ट ने यह आदेश दिए गए हैं। बता दें कि, भरतरी 30 अप्रैल को सेवा से रिटायर भी हो रहे हैं । उत्तराखंड हाईकोर्ट ने तीन बार कैट के आदेश होने के बाद वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी को पीसीसीएफ का चार्ज नहीं दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि 4 अप्रैल सुबह 10 बजे तक उन्हें पीसीसीएफ का चार्ज दें। कोर्ट ने विपक्षी से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 8 जून को होगी।
पूर्व में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण कैट इलाहाबाद की सर्किट बेंच ने सरकार एवं पीसीसीएफ विनोद सिंघल की पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करते हुए प्रमुख वन संरक्षक पद पर राजीव भरतरी की नियुक्ति के अपने 24 फरवरी के आदेश को सही ठहराया है। सरकार ने 2021 में प्रमुख वन संरक्षक पद से राजीव भरतरी को हटाकर उनके स्थान पर विनोद कुमार सिंघल को प्रमुख वन संरक्षक नियुक्त किया था। मामले के अनुसार कैट के न्यायाधीश ओम प्रकाश की एकलपीठ ने 24 फरवरी 2023 को पीसीसीएफ पद से राजीव भरतरी को हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया था।
इसके खिलाफ सरकार व पीसीसीएफ विनोद सिंघल ने पुनर्विचार याचिकाएं दायर कर कहा कि महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों की तैनाती सरकार का विशेषाधिकार है इसलिए सरकार के आदेश को बहाल किया जाए। लेकिन, कैट ने सरकार और सिंघल के तर्कों को अस्वीकार करते हुए पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी थी। पूर्व में उच्च न्यायालय नैनीताल की खंडपीठ ने राजीव भरतरी की याचिका में सुनवाई करते हुए उनसे कहा था कि वो अपने स्थानांतरण आदेश को कैट (सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल) इलाहाबाद में चुनौती दें। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि नवनियुक्त विभागाध्यक्ष कोई बड़ा निर्णय नहीं लें।
क्या है मामला
मामले के अनुसार, आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी का कहना है कि वो राज्य के सबसे वरिष्ठ भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं लेकिन सरकार ने 25 नवंबर 2021 को उनका स्थानांतरण प्रमुख वन संरक्षक पद से अध्यक्ष जैव विविधता बोर्ड के पद पर कर दिया था, जिसको उन्होंने संविधान के खिलाफ माना। इस संबंध में उन्होंने सरकार को चार प्रत्यावेदन दिए लेकिन सरकार ने इन प्रत्यावेदनों की सुनवाई नहीं की। राजीव भरतरी ने कहा कि उनका स्थानांतरण राजनीतिक कारणों से किया गया है, जिसमें उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।उल्लेखनीय है कि पीसीसीएफ राजीव भरतरी के स्थानांतरण के पीछे एक मुख्य कारण कॉर्बेट नेशनल पार्क के भीतर हो रहे अवैध निर्माण की जांच को प्रभावित करना भी माना जा रहा था। आरोप है कि तत्कालीन वन मंत्री एक अधिकारी के समर्थन में राजीव भरतरी को पद एवं कॉर्बेट पार्क में हो रहे निर्माण कार्यों की जांच से हटाना चाहते