न्यूज {आरएनएस}
देहरादून,HamariChoupal23,09,2022
आनन्द वन अब वीरान हो चला है, यहां उग रही घास और कंटीली झाडि़या, चारों ओर बिखरे पत्ते, पेड़ों की गिरी टहनियां, रंगहीन हो चुके जानवरों के प्रतीक, इस बात की गवाही दे रहे हैं।
देहरादून के झाझरा वन क्षेत्र स्थित आनंद वन (सिटी पार्क) को 17 अक्तूबर 2020 से पर्यटकों के के लिए खोल दिया गया था, 50 हेक्टेयर वन क्षेत्र में फैले आनंद वन को इस तरह से बनाया गया था कि यहां लोग रोमांचक गतिविधियों का लुत्फ उठा सकें । इसकी स्थापना तत्कालीन पीसीसीएफ जयराज और उनकी पत्नी साधना जयराज ने की थी और इस पर लगभग चालीस लाख का खर्च आया था। इस आनन्द वन को बनाने के पीछे इनका उद्देश्य था कि इस दौड़ भाग की जिन्दगी में आम आदमी चाहे वह अमीर हो या गरीब अपने परिवार के साथ आए और दो पल सुकून से गुजार सके। इस में पिकनिक मनाने के लिए बहुत कुछ है, बडिंग पैराडाइज में उत्तराखण्ड में पायी जाने वाली पक्षियों के विषय में जानकारी मिलेगी तो बटर फ्लाई पार्क में तितलियों के विषय में जनाकरी। इसके साथ ही यहां मनोरंजन के लिए जानवरों के प्रतीकात्मक माडल हैं तो एडवेचर गतिविधियां भी, यहां हाथी और शेर के माडल के साथ ही हिरन समेत अन्य जानवरों के प्रतीक भी बनाए गये हैं। इसके साथ ही यहां विभिन्न प्रकार के पेड़ों के विषय में भी जानकारी मिलेगी। यहां वन्य जीवों के सजीव मॉडल है। यहां दो स्थानों पर पेड़ों पर हट भी बनायी गयी है और इनको बदरी और केदार कुटी का नाम दिया गया।
शुरूआती दिनों में यहां स्थानीय लोगों के साथ ही पर्यटकों ने भी काफी दिलचस्पी दिखायी और यहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग आने लगे थे, लेकिन इसके बाद अचानक यहां लोगों ने आना कम कर दिया। बताया जा रहा है जहां शुरूआती दिनों में यहां प्रतिदिन आठ से दस हजार रूपये की टिकट बिक जाती थी वहं अब घट कर दो सौ से चार सौ रह गयी है। रहेगी भी क्यों नहीं लोगों के लिए सुकुन के दो पल बिताने के लिए बनाया गया यह पार्क अब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। हालात यह है कि वर्तमान में यहां तैनात अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। न तो यहां साफ सफाई का ध्यान रख रहे हैं और न ही किसी तरह का विकास कार्य हो रहा है। आनन्द वन अब वीरान हो चला है, यहां उग रही घास और कंटीली झाडि़या, चारों ओर बिखरे पत्ते, पेड़ों की गिरी टहनियां, रंगहीन हो चुके जानवरों के प्रतीक, इस बात की गवाही दे रहे हैं। इसके पीछे मुख्य कारण यहां कर्मचारियों की कमी बताया जा रहा है। बताया जाता है कि यहां तैनात अधिकाश कर्मचारी अब दूसरी जगह भेज दिए गये हैं। बहरहाल यहां पसरा सन्नाटा इस बात की गवाही दे रहा है कि आनन्द वन अब विषाद वन बन गया है। अब देखना है कि क्या वन विभाग के अधिकारियों की नींट टूटती है या फिर इस आनन्द वन पर यूं ही ग्रहण लगा रहेगा।