Hamarichoupal,20,07,2025
हरिपुर कला (हमारी चौपाल) कल एक महिला मिली। किसी महकमे मे सरकारी कर्मचारी है। उम्र 57 साल है। रिटायरमेंट मे 3 साल बचे हैं। उसने 30 लाख की गाड़ी खरीदी है। खुद को चलानी नही आती इसलिए ड्राइवर रखा है सारी उम्र पैदल और ऑटो मे चलकर गुजर गई। मगर बुढ़ापे मे गाड़ी खरीदना उसके परिवार को रास नही आ रहा। पति और बेटा-बहु उसे कोस रहे हैं कि इतनी फिजुलाखर्ची क्यों की? उसका पति हमेशा से बेरोजगार रहा। कभी कोई काम नही किया। पत्नी की कमाई का पूरा मैनेजमेंट पति के पास रहा । बेटा सरकारी नौकरी मे है। बहु भी सरकारी नौकरी मे है। महिला को रिटायरमेंट पर एक करोड़ रुपयो के आसपास मिलेंगे। सबकी नजर उन्ही पैसों पर है। महिला मुझसे बोली ” मैंने अपने सारे दायित्व निभाए। पति और बेटे के लिए अपने शौक और इच्छाएं दिल मे दफन कर लिए। लोगों से लिफ्ट लेकर, या ऑटो और पैदल सफर किया। अब जब फुर्सत के दिन आये है तो गाड़ी खरीद ली। मगर गाड़ी खरीदते ही सब को सांप सूंघ गया है। कोई मुझसे सीधी तरह बात नही करता। पति कह रहा है। तीस लाख खर्च क्यों किये? शौक पूरा करना था तो चार पांच लाख की गाड़ी खरीद लेती। बेटा बहु तो एक महीने से बात ही नही कर रहे। अब उन्हे डर है कि रिटायरमेंट पर मिलने वाले एक करोड़ रुपये भी मै कहीं शौक पर न खर्च कर दूँ। बेटा उन पैसों से जमीन खरीदकर उस पर बंगला बनाने के ख्वाब देख रहा है। सच पूछो तो मै अब ऐसा ही करूँगी। किसी को दो कौड़ी भी नही दूँगी। पति साथ देते है तो ठीक है वरना अकेले जी लुंगी मगर अब थोड़ा सा जीना को चाहती हूँ। सिर्फ अपने लिए। क्योंकि मैंने जान लिया है सारे रिश्ते मतलबी है। ”
क्या वो महिला सही कर रही है???