नईदिल्ली,29,29,08,2021,Hamari Choupal
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि संस्कृत भाषा अपने विचारों और साहित्य के माध्यम से ज्ञान विज्ञान और राष्ट्र की एकता का पोषण करती है और उसे मजबूत करती है। रविवार को श्री मोदी ने रेडियो पर प्रसारित होने वाले अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात के संबोधन में कहा कि संस्कृत साहित्य में मानवता और ज्ञान का ऐसा दिव्य दर्शन है जो किसी को भी आकर्षित कर सकता है।
उन्होंने आयरलैंड के संस्कृत विद्वान और शिक्षक रटगर कोर्टेनहॉर्स्ट, थाईलैंड की डॉ. चिरापत प्रपंडविद्या और डॉ. कुसुमा रक्षामणि, रशिया के प्रोफेसर बोरिस जाखरिन और ऑस्ट्रेलिया के सिडनी संस्कृत स्कूल का जि़क्र करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय विद्वान और संस्थाएं विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा पढ़ा रहे हैं और संस्कृत नाटक और संस्कृत दिवस जैसे कार्यक्रमों का आयोजन भी करते हैं।
श्री मोदी ने कहा, हाल के दिनों में जो प्रयास हुए हैं, उनसे संस्कृत को लेकर एक नई जागरूकता आई है। अब समय है कि इस दिशा में हम अपने प्रयास और बढाएं। हमारी विरासत को संजोना, उसको संभालना, नई पीढ़ी को देना ये हम सब का कर्तव्य है और भावी पीढिय़ों का उस पर हक भी है। अब समय है इन कामों के लिए भी सबका प्रयास ज्यादा बढ़े।
उन्होंने देशवासियों से आह्वान करते हुए कहा, अगर आप इस तरह के प्रयास में जुटे ऐसे किसी भी व्यक्ति को जानते हैं, ऐसी किसी जानकारी आपके पास है तो कृपया ‘सेलेब्रेटिंग संस्कृतÓ हैश टैग के साथ सोशल मीडिया पर जानकारी जरुर साझा करें।
प्रधानमंत्री ने संस्कृत के प्रचार प्रसार में जुटी गुजरात के एक ‘रेडियो जॉकीÓ ( आरजे ) सदस्य टोली की सराहना करते हुए कहा, आरजे गंगा गुजरात के आरजे टोली की एक सदस्य हैं। उनके साथी हैं, आरजे नीलम, आरजे गुरु और आरजे हेतल। ये सभी लोग मिलकर गुजरात में, केवडिय़ा में इस समय संस्कृत भाषा का मान बढ़ाने में जुटे हुए हैं।