Thursday , November 21 2024

कोविड और कांवड़

 

18.07.2021,Hamari Choupal

उत्तराखंड सरकार ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच सलाना कांंवड़ यात्रा रोकने का फैसला लिया है। लेकिन मंगलवार को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा कोविड प्रोटोकॉल के साथ कांवड़ यात्रा को अनुमति दिये जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख दिखाते हुए राज्य व केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। ऐसे में जब यात्रा माह के अंतिम सप्ताह में शुरू होनी है, अदालत ने शीघ्र फैसले के मद्देनजर शुक्रवार को मामले में सुनवाई रखी है। मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन की पीठ ने केंद्र व यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति नरीमन ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि हमने परेशान करने वाली खबर पढ़ी कि उत्तर प्रदेश सरकार कांवड़ यात्रा को मंजूरी दे रही है, जबकि उत्तराखंड सरकार ने रोक लगायी है। अदालत ने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री ने कोरोना से निपटने में सख्ती बरतने की जरूरत बताई है, वहीं यूपी सरकार कांवड़ यात्रा को मंजूरी दे रही है।

दरअसल, कांवड़ यात्रा 25 जुलाई को शुरू होनी थी, अत: मामले में जल्दी फैसले के मद्देनजर कोर्ट ने केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार से 16 जुलाई की सुबह तक जवाब मांगा है। कोरोना संकट के मद्देनजर काफी दुविधा के बाद उत्तराखंड सरकार ने इसे रोकने का फैसला लिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मानना था कि कांवड़ यात्रा से महत्वपूर्ण लोगों का जीवन बचाना है। इससे पहले आईएमए की उत्तराखंड शाखा ने भी कांवड़ यात्रा का विरोध किया था। वहीं यूपी सरकार की मंशा है कि कुछ पाबंदियों के साथ इस यात्रा को जारी रखा जाए। मंगलवार को अधिकारियों के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना था कि कोविड प्रोटोकॉल के साथ यात्रा को जारी रखा जा सकता है। साथ ही यह भी कि आरटी-पीसीआर की नेगेटिव जांच रिपोर्ट की अनिवार्यता को लागू किया जायेगा। इसके अलावा न्यूनतम लोगों को यात्रा में शामिल होने को कहा जायेगा।

दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार के इसी फैसले पर देश की शीर्ष अदालत ने सख्त रुख दिखाया है। उत्तराखंड सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा पर रोक से पहले उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चारधाम यात्रा के आयोजन पर भी रोक लगा दी थी, जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया था। निस्संदेह जब लाखों लोगों का कांवड़ मेले में आना तय है तो कोविड नियमों का पालन करा पाना संभव नहीं था। लाखों लोगों के कोविड टेस्ट भी इतने कम समय में कराना कठिन था। वैसे भी कांवड़ मेला इतना अव्यवस्थित व अनियंत्रित होता है कि उसे सीमित करने के लिये कई इंतजाम करने पड़ते। दरअसल, कांवड़ मेला सिर्फ उत्तराखंड का ही मामला नहीं था, इसमें बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल व दिल्ली के श्रद्धालु भाग लेते हैं। इन सरकारों के सहयोग के बिना इस पर रोक लगाना संभव भी नहीं था, जिसके चलते उत्तराखंड सरकार ऊहापोह में थी। उसे व्यापारियों, होटल मालिकों व पुरोहितों की चिंता भी थी, जो सालभर की कमाई कांवड़ मेले से पूरी करते हैं। कोरोना संकट के चलते उनका धंधा पहले ही मंदा है। लेकिन उत्तराखंड सरकार ने जीवन रक्षा व जनता की सेहत को प्राथमिकता देकर विवेक का परिचय दिया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों बयान भी दिया था कि निस्संदेह कांवड़ यात्रा आस्था से जुड़ा मसला है लेकिन कोविड संक्रमण के चलते लोगों की जान जाये, ये भगवान को भी अच्छा नहीं लगेगा। दरअसल, स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी चेता रहे थे कि कांवड़ यात्रा कुंभ से ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकती है। ऐसे में कुंभ के चलते किरकिरी झेलने वाली उत्तराखंड सरकार और अपयश नहीं चाहती थी। हालांकि, आसन्न चुनावों के चलते मामला संवेदनशील भी था। पिछले दिनों हिल स्टेशनों में पर्यटकों ने जैसी स्वच्छंदता दर्शायी है, उस पर प्रधानमंत्री तक ने चिंता जताई है। वैसे भी कांवड़धारी अपनी स्वच्छंदता के लिये जाने जाते हैं और हर साल बड़ी संख्या में पुलिस-प्रशासन से टकराव की खबरें आती रहती हैं। निस्संदेह राज्य सरकारें आस्था के चलते अपने दायित्वों के निर्वहन में कोताही नहीं बरत सकतीं।

About admin

Check Also

रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों और पुरस्कार वितरण के साथ गौचर मेले का हुआ समापन  

चमोली(आरएनएस)। 72वें राजकीय औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेला-2024 बुधवार को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों और पुरस्कार …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *