1. अच्छी गुणवत्ता और नकली दवाओं में अंतर
हमें सबसे पहले यह स्पष्ट करना होगा कि “अच्छी गुणवत्ता की दवाएं” और “नकली या डुप्लिकेट दवाएं” दो बिल्कुल अलग चीजें हैं।
अच्छी दवाएं तय मानकों और वैज्ञानिक प्रक्रियाओं के अनुसार बनाई जाती हैं। वहीं नकली दवाएं या तो घटिया सामग्री से बनती हैं, या उनकी जानकारी/लेबलिंग जानबूझकर गलत दी जाती है।
नकली दवा बनाना अपराध है। लेकिन हर NSQ दवा नकली नहीं होती यह समझना ज़रूरी है
2. कोई भी लाइसेंस प्राप्त मैन्युफैक्चरर नकली दवाएं नहीं बनाता
जिन फर्मों को राज्य अथवा केंद्र से विधिवत मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस मिला है, वे प्रक्रिया, नियम और गुणवत्ता नियंत्रण का पालन करते हैं।
इनका उद्देश्य कभी भी नकली दवा बनाना नहीं होता। लेकिन अफ़सोस, मीडिया में हर “फेल” दवा को “नकली” बताकर ब्रांड और निर्माता की छवि को नुकसान पहुंचाया जात
3. दवाएं फेल क्यों होती हैं – तकनीकी कारणों से
ज्यादातर दवाएं माइनर टेक्निकल कारणों से फेल होती हैं, जैसे:
• pH में थोड़ा अंतर,
• डिसइंटीग्रेशन टेस्ट में विलंब,
• डिसॉलूशन टेस्ट में बदलाव,
• या लेबलिंग की गलती।
हर NSQ रिपोर्ट यह नहीं कहती कि दवा पूरी तरह बेअसर या खतरनाक है।
प्रत्येक दवा Assay (API की मात्रा) में फेल नहीं होती। यह फर्क समझना बहुत ज़रूरी
4. न्यूज़ छापने की प्रक्रिया-
आजकल देखा जा रहा है कि CDSCO के प्राथमिक अलर्ट के आधार पर अखबारों में खबरें प्रकाशित कर दी जाती हैं।
जबकि Drugs & Cosmetics Act की धारा 25(3) के अनुसार, निर्माता फर्म को CDL (Central Drug Laboratory) में पुनः परीक्षण का अधिकार है।
जब तक CDL से फाइनल रिपोर्ट नहीं आ जाती और वही NSQ न निकले, तब तक किसी भी प्रकार की सार्वजनिक रिपोर्टिंग नहीं की जानी चाहिए।
5. फेल सैंपल्स का डेटा तो आता है, पास हुए सैंपल्स का क्या?
जब कोई सैंपल फेल होता है, तो उसका पूरा विवरण – बैच, निर्माता, तारीख – सब प्रकाशित हो जाता है।
लेकिन जब वही सैंपल सेक्शन 25(3) के तहत CDL में चैलेंज होने पर पास हो जाता है, तब उसकी कोई सूचना सार्वजनिक नहीं की जाती।
यह एकतरफा प्रक्रिया है, जो निर्माता की साख को गंभीर नुकसान पहुंचाती है।
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6. DGCI की गाइडलाइन्स और STP का पालन नहीं हो रहा
DGCI द्वारा जारी की गई सामान्य दिशानिर्देशों (General Guidelines) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि,
जब भी कोई संयोजन औषधि (Combination Drug) बनाई जाती है, तो उसकी Standard Testing Procedure (STP) निर्माता फर्म से ही ली जानी चाहिए।
लेकिन दुर्भाग्यवश, कई मामलों में ये STP फॉलो ही नहीं की जाती, जिससे गलत परिणाम निकलते हैं और NSQ घोषित कर दिया जाता है।
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7. उत्तराखंड की प्रतिष्ठा का दुरुपयोग
आज उत्तराखंड को भारत में गुणवत्तायुक्त औषधि निर्माण केंद्र के रूप में पहचाना जाता है।
लेकिन कुछ बाहरी राज्यों के लोग उत्तराखंड के पते पर दवाएं बना रहे हैं – जबकि उनके बताए पते पर कोई फैक्ट्री मौजूद ही नहीं होती।
इससे न केवल नियमों का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि प्रदेश की छवि धूमिल हो रही है।
सच बोलने वाले निर्माता नुकसान उठा रहे हैं, और सिस्टम की चूक का फायदा उठाने वाले बच निकलते हैं।
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समापन
मित्रों, दवा निर्माण सिर्फ उद्योग नहीं, एक सामाजिक जिम्मेदारी है।
हमें यह सुनिश्चित करना है कि
• सच को पहचाना जाए,
• झूठ को रोका जाए,
• और जो सिस्टम पारदर्शिता से पीछे हटता है, उसे सुधारा जाए।
हम सबका दायित्व है कि फार्मा इंडस्ट्री की प्रतिष्ठा और ईमानदारी को सुरक्षित रखें।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में फार्मा कंपनी के गणमान्य लोग उपस्थित रहे। प्रमोद कालानी, पी एस चावला संजय सिंघारिया पी के बंसल निखिल गोयल आर सी जैन कुलदीप सिंह
