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उत्तराखंड : अधिकारियों को निर्देश, अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए शीघ्र करें भूमि का चयन: महाराज

18.06.2021,Hamari Choupal

 

हरिद्वार। पर्यटन, तीर्थाटन एवं सिंचाई मंत्री  सतपाल महाराज की अध्यक्षता में शुकवार को कलेक्ट्रेट सभागार में अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट की स्थापना हेतु भूमि चयन के सम्बन्ध में बैठक आयोजित हुई।

बैठक में जिलाधिकारी  सी0 रविशंकर ने बताया कि हरिद्वार में अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट की स्थापना हेतु भूमि चयन के लिये एक कमेटी गठित की गयी है, जिसने भूमि के लिये हरिद्वार के विभिन्न क्षेत्रों का सर्वे किया है।

पर्यटन, तीर्थाटन एवं सिंचाई मंत्री  सतपाल महाराज ने बैठक में बोलते हुये कहा कि हरिद्वार धर्म नगरी है। इसका बहुत बड़ा महत्व है। यहां से अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानें प्रारम्भ होने से विभिन्न उद्देश्यों के लिये विश्व के कई देशों से आवा-गमन होगा, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे तथा यह हमारे भविष्य के लिये काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार का हवाई सम्पर्क विश्व के लगभग सभी देशों से होना ही चाहिये।

इस मौके पर पर्यटन तीर्थाटन एवं सिंचाई मंत्री  महाराज ने नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारियों से अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट की स्थापना हेतु जो मानक निर्धारित किये गये हैं, के सम्बन्ध में जानकारी लेते हुये विस्तृत विचार-विमर्श किया।

सतपाल महाराज ने बैठक में नागरिक उड्डयन एवं विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट की स्थापना हेतु संभावित भूमि का मौका मुआयना करके अपनी रिपोर्ट यथाशीघ्र प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि भूमि के सम्बन्ध में रिपोर्ट प्राप्त हो जाने पर प्रस्ताव आदि बनाने की आगे की कार्रवाई की जायेगी।

इस अवसर पर विधायक ज्वालापुर  सुरेश राठौर, एडीएम(वित्त एवं राजस्व)  के0के0 मिश्रा, डी0सी0 लक्सर  शैलेन्द्र सिंह नेगी, एसडीएम भगवानपुर सुश्री स्मृता पंवार, एस0डी0एम0 सन्तोष पाण्डे, नागरिक उड्डयन, पुलिस विभाग के अधिकारी सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।

सम्भावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण

अधिकारियों को महाराज की चेतावनी, कार्य में तेजी लायें वर्ना बख्शा नहीं जायेगा

 

हरिद्वार। पर्यटन तीर्थाटन एवं सिंचाई मंत्री  सतपाल महाराज, ने आज दूसरे दिन भी हरिद्वार में सम्भावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों- ग्राम कांगड़ी, गाजीवाली का स्थलीय निरीक्षण किया। इस मौके पर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वामी यतीस्वरानन्द के भी उनके साथ थे।

निरीक्षण के दौरान सिंचाई मंत्री  सतपाल महाराज ने सबसे पहले कांगड़ी गांव के निकट के गंगा तटों को देखा, जहां से गंगा नदी के पानी के बहाव से गांव को नुकसान पहुंच सकता है। इस पर उन्होने सिंचाई विभाग के अधिकारियों से गंगा के बहाव को डायवर्ज करने के लिये पूर्व में दिये गये निर्देश पर अमल न किये जाने पर नाराजी जाहिर करते हुए कहा कि अभी तक कार्य प्रारम्भ क्यों नहीं किया। इस पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने कहा कि कल से ही गंगा के बहाव के डायवर्जन का कार्य प्रारम्भ हो जायेगा। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए निर्देश दिये कि वे कार्य में तेजी लायें अन्यथा सख्त कार्रवाई की जायेगी। इसके बाद उन्होंने ग्राम गाजीवाली में भी संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया।

सिंचाई मंत्री  महाराज ने ग्राम कांगड़ी एवं गाजीवाली आदि में गंगा नदी से बाढ़ सुरक्षा हेतु जो कार्य स्वीकृत व प्रस्तावित हैं, उनके बारे में जानकारी देते हुये बताया कि ग्राम कांगड़ी में गंगा नदी की जलधारा को मोड़ने के लिए क्यूनेट के निर्माण हेतु रूपये 9.89 लाख की धनराशि स्वीकृत की गयी है, कांगड़ी ग्राम में 400 मीटर लम्बाई में गंगा नदी की धारा को मोड़ने के लिए चैनेलाईजेशन के कार्य हेतु दो योजनायें, जिनकी लागत क्रमशः रू0 9.78 लाख एवं रू0 9.90 लाख की है, स्वीकृति के लिए प्रस्तावित की गयी हैं।

पर्यटन तीर्थाटन एवं सिंचाई मंत्री ने यह भी बताया कि ग्राम गाजीवाली में पूर्व निर्मित स्पर की मरम्मत का कार्य लागत रूपये 9.60 लाख, पूर्व निर्मित दो क्षतिग्रस्त स्परों का विस्तारीकरण लागत क्रमशः रूपये 9.06 लाख एवं रूपये 6.80 लाख, ग्राम सजनपुर पीली में भूमि कटाव की रोकथाम हेतु बाढ़ सुरक्षा कार्य हेतु रूपये 9.51 लाख एवं ग्राम बसोचन्दपुर गैण्डीखाता में कृष्णायन गौशाला का बाढ़ सुरक्षा कार्य रूपये 7.26 लाख की धनराशि स्वीकृत की गयी है। इसके अतिरिक्त उन्होने बताया कि ग्राम गाजीवाली में 600 मीटर लम्बाई में गंगा नदी की धाराओं को मोड़ने के लिये चैनेलाईजेशन कार्य हेतु तीन योजनायें, जिनकी लागत क्रमशः 9.90 लाख, 9.78 लाख एवं 9.97 लाख (कुल रूपये 29.65 लाख) स्वीकृति हेतु प्रस्तावित किया गया है।

इस अवसर पर भाजपा के अनेक कार्यकर्ताओं सहित, सिंचाई विभाग के एस0ई0 श्री डी0के0 सिंह सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।

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