Sunday , November 24 2024
Breaking News

आफत में राहत

16.06.2021,Hamari Choupal

 

ऐसे वक्त में जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर उतार पर है, अब जाकर केंद्र सरकार ने कोरोना उपचार में काम आने वाले उपकरणों व दवाओं पर जीएसटी दरों को घटाया है। यह छूट सितंबर माह तक ही रहेगी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी परिषद की 44 वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया। जीएसटी दरों को आवश्यकता अनुसार अलग-अलग ढंग से घटाया गया। परिषद ने कोविड वैक्सीन पर जीएसटी दर पांच फीसदी रखने का निर्णय लिया। वहीं एम्बुलेंस पर जीएसटी दर 28 फीसदी से घटाकर बारह फीसदी कर दी गई। कोरोना संक्रमण में काम आने वाली कुछ दवाओं मसलन रेमडेसिविर पर जीएसटी दर बारह फीसदी से पांच फीसदी कर दी गई। अन्य उपकरणों मसलन मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, जनरेटर, वेंटिलेटर, वेंटिलेटर मास्क आदि की दर बारह फीसदी से पांच फीसदी कर दी गई। इसके अतिरिक्त कोविड टेस्टिंग किट, पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर व डायग्नॉस्टिक किट पर भी यह दर बारह से घटाकर पांच फीसदी कर दी गई। वहीं विद्युत शवदाहगृह की जीएसटी घटाकर पांच फीसदी कर दी गई है। दूसरी ओर देश में ब्लैक फंगस का प्रकोप देखते हुए इसके उपचार में काम आने वाली दवाओं पर जीएसटी दर शून्य कर दी गई है। ये दरें इसी हफ्ते लागू हो जायेंगी।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण कह रही हैं कि केंद्र वैक्सीन खरीद रही है और लोगों को मुफ्त मुहैया करायी जायेगी। लेकिन आम राय है कि महामारी के दौर में वैक्सीन को जीएसटी से मुक्त किया जाता। जीएसटी के चलते निजी अस्पतालों में वैक्सीन लगाने वालों को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। निस्संदेह निजी अस्पताल जीएसटी का बोझ टीका लेने वालों पर डाल देंगे। ऐसे में जब देश को तेज टीकाकरण की जरूरत है, टीकाकरण को इस महामारी से बचने और देश की स्थिति सामान्य बनाने का अंतिम उपाय बताया जा रहा है तो वैक्सीन को पूरी तरह जीएसटी से मुक्त किया जाना चाहिए। कुछ मध्यमवर्गीय लोग भी भीड़-भाड़ में संक्रमण के भय और सरकारी अस्पतालों की लंबी प्रतीक्षा सूची के चलते निजी अस्पतालों को टीकाकरण हेतु प्राथमिकता दे सकते हैं। उन पर भी जीएसटी का भार पड़ेगा। वैसे भी सरकार ने ये कदम देर से उठाये हैं। ऐसे हालात में जब देश में तीसरी लहर की बात की जा रही है, कुछ और जरूरी चिकित्सा उपकरणों व कोविड रोधी दवाओं को जीएसटी से छूट देने की जरूरत थी। जिससे देश में मजबूत चिकित्सा ढांचा बनाने में मदद मिलती। खासकर हमारे ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा तंत्र में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है। सरकार को विद्युत शवदाह गृहों को भी जीएसटी से मुक्त करना चाहिए था। दूसरी लहर में जिस तरह लकड़ी का संकट पैदा हुआ और लोगों ने जैसे मजबूरी में शवों को नदियों में बहाया तथा तटों पर दफन किया, उसे देखते हुए देश में विद्युत शवदाह गृहों की कमी को महसूस किया जा रहा है। सरकार को ऐसे फैसले लेते वक्त संवेदनशील व मानवीय दृष्टिकोण को तरजीह देनी चाहिए।

About admin

Check Also

क्या लगातार पानी पीने से कंट्रोल में रहता है ब्लड प्रेशर? इतना होता है फायदा

दिनभर की भागदौड़ और काम के चक्कर में हम सही तरह अपना ख्याल नहीं रख …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *