Hamarichoupal,17,06,2025
वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनने की दिशा में हमारी यात्रा अनवरत जारी है, और इस दृष्टि योजना के सबसे प्रभावकारी शक्तियों में भारतीय खेलों का उदय भी शामिल है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारतीय खेल, वैश्विक मंच पर नित नई ऊंचाईयां छू रहा है। जमीनी स्तर से लेकर विश्व विजेता मंच तक, प्रधानमंत्री की भविष्यदृष्टि ने खेलों के प्रति भारत के दृष्टिकोण को बदल कर रख दिया है। इससे विश्व स्तरीय सहायता, अत्याधुनिक सुविधाएं तथा प्रतिभा और कड़ी मेहनत को पुरस्कृत करने की पारदर्शी प्रणाली सुनिश्चित हुई है।
हाल में, भारतीय एथलीटों ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपने असाधारण प्रदर्शनों से देश को गौरवान्वित किया है। दक्षिण कोरिया के गुमी में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 या मंगोलिया के उलानबटार में चौथी विश्व कुश्ती रैंकिंग श्रृंखला हो, हमारे खिलाडि़यों ने धैर्य और गौरव के साथ दमदार प्रदर्शन किया। एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में, भारतीय दल ने शानदार प्रदर्शन कर 24 पदक हासिल किए और इस दौरान कई राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी ध्वस्त कर दिए।
इसी दौरान हमारी महिला पहलवानों ने इतिहास रच दिया। मंगोलिया से वे रिकॉर्ड 21 पदक जीतकर लौटीं जो विश्व कुश्ती रैंकिंग श्रृंखला में उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। पर यह सफलता रातोंरात नहीं मिली है। इससे पहले, भारत ने पूर्व के 23 आयोजनों (आजादी से पहले सहित) में केवल 26 ओलंपिक पदक जीते थे। जबकि 2016, 2020 और 2024 के पिछले तीन आयोजनों में ही भारत ने 15 पदक जीते हैं। पैरालिंपिक खेलों में प्रदर्शन और भी बेहतर रहा है। 1968 से 2012 के बीच कुल 8 पदक जीतने वाले भारत ने पिछले तीन आयोजनों में 52 पदक हासिल किए हैं, जिसमें पेरिस 2024 में जीते गए रिकॉर्ड 29 पदक शामिल हैं।
ये उपलब्धियां कोई संयोग नहीं हैं। ये पिछले ग्यारह वर्षों में तैयार किए गए प्रदर्शन-संचालित पारिस्थितिकी तंत्र का सुखद परिणाम हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्पष्ट और केंद्रित दृष्टिकोण है कि प्रत्येक एथलीट, चाहे उसकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो उसे विश्व स्तरीय प्रशिक्षण, ढांचागत सुविधा, वित्तीय सहायता, एथलीट-केंद्रित सुशासन और आगे बढ़ने के लिए पारदर्शी प्रणाली की पहुंच मिलनी चाहिए। वर्ष 2014 से मोदी सरकार ने परिवर्तनकारी बदलाव से मजबूत नींव रखकर भारतीय खेलों के परिदृश्य को नया रूप दे दिया है।
इन सुधारों के केंद्र में शीर्ष एथलीटों की पहचान करने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए 2014 में आरंभ की गई टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना-टॉप्स (टीओपीएस) शामिल है। 75 एथलीटों के साथ आरंभ हुई यह योजना अब लॉस एंजिल्स 2028 ओलंपिक आयोजन के लिए 213 खिलाड़ियों को सहयोग देने के साथ व्यापक हो गई है। इसमें 52 पैरा-एथलीट और विकास श्रेणी के 112 एथलीट शामिल हैं। उन खेल संवर्गों में एथलीटों को मदद देने की नई योजनाएं भी आरंभ की गई हैं, जिन पर पारंपरिक रूप से कम ध्यान जाता है। इस वर्ष आरंभ किया गया लक्ष्य एशियाई खेल समूह (द टार्गेट एशियन गेम्स ग्रुप-टीएजीजी) तलवारबाजी, साइकिलिंग, घुड़सवारी, नौकायन, कयाकिंग और कैनोइंग, जूडो, ताइक्वांडो, टेनिस, टेबल टेनिस और वुशू जैसे 10 खेलों में 40 पदक संभावनाएं बढ़ाता है।
खिलाडि़यों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के प्रयासों में दूरदर्शिता के साथ-साथ वित्तीय प्रतिबद्धता भी महत्वपूर्ण है। युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय का बजट पिछले दशक में तीन गुना से अधिक हो गया है और यह 2013-14 के महज 1,219 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में 3,794 करोड़ रुपये पहुंच गया है। जमीनी स्तर पर बुनियादी खेल ढांचा विकसित करने और वर्ष भर प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 2017 में आरंभ की गई खेलो इंडिया योजना का बजट इस वर्ष बढ़कर 1,000 करोड़ रुपये हो गया है। इन निवेशों से खेल प्रतिभाएं पोषित हो रही हैं और युवा एथलीटों के लिए एक जीवंत प्रतिस्पर्धी पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित हो रहा है।
राष्ट्रीय खेल महासंघों को भी अभूतपूर्व व्यापक समर्थन मिला है। अंतर्राष्ट्रीय आयोजन और राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित करने के लिए उन्हें दी जाने वाली वित्तीय सहायता लगभग दोगुनी हो गई है। खेल प्रशिक्षकों-कोच को दी जाने वाली राशि में 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। उच्च प्रदर्शन प्रशिक्षण की बढ़ती आवश्यकता को देखते हुए एथलीटों के खुराक भत्ते में बढ़ोतरी की गई है।
ऐसे केंद्रित प्रयास भारत को अपनी पदक क्षमता में विविधता लाने और विभिन्न खेलों में उत्कृष्टता हासिल करने में सहायक बन रहे हैं।
पारदर्शिता पर जोर इस दिशा में किए गए सबसे प्रभावशाली सुधारों में एक है। सभी महासंघों को अब चयन प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग और प्रमुख आयोजनों के लिए चयन मानदंड दो साल पहले ही निर्धारित करना आवश्यक बनाया गया है। इससे निष्पक्षता के साथ ही एथलीटों में विश्वास बढ़ता है और यह व्यवस्था को योग्यता आधारित बनाती है। एथलीट-केंद्रित सुधार निश्चित रूप से हाल की खेल नीति निर्माण में उल्लेखनीय रहे हैं। खेल प्रमाणपत्र अब डिजिलॉकर द्वारा जारी किए जाते हैं जो राष्ट्रीय खेल रिपोजिटरी प्रणाली से जुड़े होते हैं। इससे एथलीटों को सुरक्षित और हेराफेरी से मुक्त डेटा रिकॉर्ड सुनिश्चित होता है। राष्ट्रीय खेल नीति 2024 और राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक के मसौदे का कार्य अभी अपने अंतिम चरण में है। इनका उद्देश्य खेल पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करना और खिलाडि़यों के कल्याण को नीति निर्धारण के केंद्र में लाना है। आयु संबंधी धोखाधड़ी से अब नई मेडिकल जांच और सख्त दंड के प्रावधानों द्वारा निपटा जा रहा है। इनके बेहतर अनुपालन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए खेल संघों को सत्यनिष्ठा अधिकारी नियुक्त करने की भी आवश्यकता है।
ओलंपिक खेलों के अलावा, मल्लखंब, कलारीपयट्टू, योगासन, गतका और थांग-ता जैसे पारंपरिक भारतीय खेलों को खेलो इंडिया गेम्स द्वारा पुनर्जीवित और बढ़ावा दिया जा रहा है। कबड्डी और खो-खो जैसे स्वदेशी खेलों को अब अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल रही है, जो भारत की समृद्ध खेल विरासत को दर्शाते हैं।
खेल के क्षेत्र में लैंगिक समानता के प्रयास भी उल्लेखनीय हैं। खेलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आरंभ की गई एएसएमआईटीए-अस्मिता लीग (महिलाओं को प्रेरित कर खेल उपलब्धि हासिल करना) को तेजी से विस्तारित किया गया है। वर्ष 2021-22 में जहां केवल 840 महिला एथलीट खेलों में सक्रिय थीं वहीं, 2024-25 में 26 खेल संवर्गों में 60,000 से अधिक महिला खिलाडि़यों ने भाग लिया। अस्मिता लीग इन एथलीटों को खेलो इंडिया से जोड़कर प्रदर्शन और प्रतिस्पर्धा के अवसर प्रदान करती है।