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उत्तराखण्डः यहां सब कुछ जुगाड़ से चलता है

देहरादून (आरएनएस ),25,04,2022

राज्य में इन दिनों  अटैच मेंट  का खेल चरम  पर  है इसी का कारण है  कि राज्य  की  तमाम व्यवस्थायें  चरमराई हुयी हैं। हालात यह  है  कि सबसे  अधिक प्रभावित राज्य की शिक्षा और स्वास्थ्य  सेवायें  हैं। इस राज्य की  यह विडम्बना रही है कि जब  से राज्य बना तब  से यहां अटैचमेंट  का खेल खत्म ही नहीं हो रहा है। हर  कोई अपने आप को फस्र्ट दिखाने में  लगा हुआ है और हालात यह  है कि  यदि किसी  विभाग  में एक अटैचमेंट  होता है तो दूसरा दो कर देता है  तो तीसरा तीन, ऐसे  में यह गेम खत्म ही  नही हो रहा है। इस खेल से  सबसे अधिक प्रभावित है शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग।  हो क्या रहा है कि नौकरी पाने के लिए मास्टर हो या डाक्टर पहाड़ जाने में नहीं हिचकता है लेकिन जैसे  ही  नौकरी मिली वह वहां  से निकलने की जुगत लगा लेता है, इसका सबसे आसान तरीका होता है अटैचमेंट जो कि उत्तराखण्ड की भाषा में  जुगाड़ कहा जाता है। इसके लिए तन, मन और धन सभी तरह के हथियार इस्तेमाल किए जाते हैं। इस तरह के जुगाड़ यू तो सभी सफल रहते  हैं लेकिन एक प्रतिशत लोग  ही ऐसे  होते हैं जो कि इस जुगाड़ में असफल हो जाते हैं। इस राज्य में यह परम्परा सबसे आसान मानी जाती है कि नौकरी तो पहाड़ में है लेकिन कर उसे देहरादून रहे  हैं। इसके  लिए यू तो मंत्री तक का सफर तय करना होता है लेकिन दलालो की भूमिका इसमें कम नहीं होती है। राज्य में कई सरकारें आयी और चली गयी लेकिन ये अटैचमेट की जुगाड़ परम्परा कोई भी सरकार समाप्त नही कर सकी।  बताया जा रहा है कि अब युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नजरें इस जुगाड़ के खेल पर टेडी होती जा रही है और इसको लेकर शीघ्र  ही बड़ा निर्णय लेने जा रहे हैं। बहरहाल अब देखना है कि इस जुगाड़ के खेल को कब तक यह राज्य और झेलता है।

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