देहरादून, 9 जून 2025 (हमारी चौपाल)।
देहरादून में शराब की ओवररेटिंग अब आम बात हो गई है, और इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि जिला प्रशासन और आबकारी विभाग की तमाम शक्तियों और चेतावनियों के बावजूद हालात में कोई सुधार नहीं दिख रहा। हमारी चौपाल ने पूर्व में भी कई बार शराब के ठेकों पर नियमों के उल्लंघन और ओवररेटिंग की खबरें प्रकाशित कर प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया था, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा।
अब ताजा मामला शिमला बायपास के रतनपुर स्थित शराब ठेके का है, जहां सोमवार तड़के से ही शराब की बोतलें एमआरपी से अधिक दामों पर खुलेआम बेची जा रही थीं।सूत्रों की माने तो कुछ ग्राहकों ने मौके से वीडियो और रसीदों सहित ठोस प्रमाण जुटाए हैं, जिसमें साफ दिखता है कि शराब विक्रेता हर ब्रांड पर 20 से 80 रुपये तक की अतिरिक्त वसूली कर रहे हैं।
शासन का नहीं कोई खौफ
स्थानीय सूत्रों और ग्राहकों का कहना है कि इन शराब विक्रेताओं को शासन और प्रशासन का कोई डर नहीं रह गया है। ग्राहक यदि विरोध करता है, तो उनसे दुर्व्यवहार किया जाता है या फिर उन्हें शराब देने से ही मना कर दिया जाता है। आश्चर्यजनक रूप से, पुलिस और आबकारी विभाग की आंखों के सामने यह सारा खेल चल रहा है।
पहले भी उजागर हुए हैं ऐसे मामले
हमारी चौपाल ने इससे पहले गांधी रोड, नेहरू कॉलोनी, राजपुर रोड और प्रेमनगर जैसे क्षेत्रों के कई शराब ठेकों पर ओवररेटिंग और मनमानी की रिपोर्टें प्रकाशित की थीं। इसके बावजूद ना तो ठेकेदारों पर कोई सख्त कार्रवाई हुई और ना ही कोई लाइसेंस रद्द किया गया।
जिम्मेदार कौन?
यह सवाल अब जनमानस के बीच उठने लगा है कि जब प्रमाणों सहित मीडिया लगातार ऐसे मामलों को उजागर कर रही है, तो फिर प्रशासन की चुप्पी का मतलब क्या है? क्या आबकारी विभाग और जिला प्रशासन की मिलीभगत से ही यह भ्रष्टाचार फलफूल रहा है?
जनता में बढ़ रहा आक्रोश
देहरादून जैसे शिक्षित और पर्यटन नगरी में इस तरह खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाना आम नागरिकों के विश्वास को तोड़ रहा है। सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं और लोग मांग कर रहे हैं कि दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो।
जनता की मांग:
1. रतनपुर ठेके पर तुरंत छापेमारी कर ओवररेटिंग की पुष्टि हो।
2. दोषी विक्रेताओं का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
3. जिला प्रशासन और आबकारी विभाग को सार्वजनिक रूप से जवाबदेही तय करनी चाहिए।
4. सभी ठेकों पर रेट लिस्ट और शिकायत बॉक्स अनिवार्य रूप से लगाए जाएं।
आमजन प्रशासन से यह जानना चाहता है कि क्या कानून केवल आम आदमी के लिए है? जब सबूतों के बावजूद कार्यवाही नहीं होती, तो जनता का विश्वास किस पर रहे?