देहरादून, 5 जून2025(हमारी चौपाल) झाझर रेंज की अटकफार्म बीट आज पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणादायक मिसाल बनी, जहां ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के अवसर पर एनडीआरएफ की टीम, ग्राम प्रधान, ग्रामीण नागरिक, वन विभाग और शिक्षाविदों ने मिलकर एक भव्य आयोजन किया। इस संयुक्त प्रयास का उद्देश्य था – पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना और आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रेरित करना।
कार्यक्रम की अगुवाई वन विभाग की टीम ने की, जिसमें बीट अधिकारी अजय पवार, वन दरोगा अनुपम रावत, बीट सहायक सुभाष कुमार तथा बीट अधिकारी चंद्रमोहन विशेष रूप से शामिल रहे। साथ ही, सेलाकुई थाने से चीता पुलिस टीम की मौजूदगी ने कार्यक्रम को सुरक्षा और समर्थन प्रदान किया।
शिक्षा और संरक्षण का संगम
हिमालयन कॉलेज से पधारे प्रोफेसर खान ने अपने कॉलेज के विद्यार्थियों के साथ इस आयोजन में भाग लिया और युवाओं को वन्यजीवों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। उन्होंने बताया कि किस प्रकार जैव विविधता का संतुलन बनाए रखना मानव जीवन के लिए अनिवार्य है। उनके प्रेरक भाषण ने उपस्थित युवाओं और ग्रामीणों में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता की भावना को और गहरा किया।
स्वच्छता और प्लास्टिक मुक्त ग्राम की अपील
बीट अधिकारी अजय पवार ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए प्लास्टिक के उपयोग से होने वाले दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला और अपील की कि सभी लोग अपने घरों और गांवों को “पोलीथीन मुक्त” बनाने का संकल्प लें। उन्होंने ग्रामीणों से यह आग्रह भी किया कि कूड़ा-कचरा खुले में न फेंकें, बल्कि निर्धारित कूड़ा गाड़ियों या डस्टबिन का प्रयोग करें ताकि गांव स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल बने।
स्थानीय नेतृत्व की भागीदारी
इस अवसर पर ग्राम प्रधान सुदेश पाल ने ग्रामीणों से अपील की कि वे पर्यावरण संरक्षण को अपनी दैनिक जीवनशैली का हिस्सा बनाएं। कार्यक्रम में क्षेत्रीय समाजसेवी व संभावित प्रधान दावेदार मोहित चौधरी और सूरज चौधरी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। उन्होंने कहा कि “प्रकृति से प्रेम करना हमारी संस्कृति है, और आज का दिन इस प्रेम को पुनः जाग्रत करने का अवसर है।”
पर्यावरणीय संकल्प और वृक्षारोपण
कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली और अटकफार्म बीट क्षेत्र में वृक्षारोपण कर भविष्य की हरियाली का बीजारोपण किया। विद्यार्थियों, ग्रामीणों और अधिकारियों ने मिलकर सैकड़ों पौधे लगाए और उन्हें संरक्षित रखने का वादा भी किया।
यह आयोजन एक प्रेरक उदाहरण है कि जब प्रशासन, नागरिक, शैक्षणिक संस्थान और सुरक्षा एजेंसियां एक मंच पर आकर काम करती हैं, तो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वास्तविक और सकारात्मक बदलाव संभव है। झाझर रेंज की यह पहल न केवल प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के लिए उदाहरण बनेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को हरित भारत के निर्माण की प्रेरणा भी देगी।