हर कोई मृत्यु से डरता है, लेकिन जन्म और मृत्यु, सृष्टि के नियम हैं! यह ब्रह्मांड के संतुलन के लिए, आवश्यक है। इसके बिना मनुष्य एक दूसरे पर, हावी हो जाते। वो कैसे? इस कहानी के द्वारा जानिए!
एक बार, एक राजा एक संत के पास गया, जो राज्य के बाहर, एक पेड़ के नीचे बैठे थे। राजा ने पूछा, हे स्वामी! क्या कोई औषधि है, जो अमरता दे सके? कृपया मुझे बताएं।
संत ने कहा, हे राजा! आपके सामने जो दो पर्वत हैं, उन्हें पार कीजिए। वहाँ एक झील मिलेगी। उसका पानी पीने से आप अमर हो जाएंगे।
राजा ने पर्वत पार कर झील पाई। जैसे ही वह पानी पीने को झुके, उन्होंने कराहने की आवाज सुनी। आवाज का पीछा करने पर उन्होंने एक बूढ़े और कमजोर व्यक्ति को दर्द में देखा।
राजा ने कारण पूछा, तो उस व्यक्ति ने कहा, मैंने इस झील का पानी पी लिया, और अमर हो गया। जब मेरी उम्र सौ साल की हुई, तो मेरे बेटे ने मुझे घर से निकाल दिया। मैं पचास साल से यहाँ पड़ा हूँ, बिना किसी देखभाल के। मेरा बेटा मर चुका है, और मेरे पोते अब बूढ़े हो चुके हैं। मैंने खाना पीना बंद कर दिया है, फिर भी जीवित हूँ।
राजा ने सोचा, बुढ़ापे के साथ, अमरता का क्या फायदा? अगर मैं अमरता के साथ यौवन भी प्राप्त कर सकूँ तो? राजा वापस संत के पास गए, और समाधान पूछा_ कृपया मुझे अमरता के साथ, यौवन प्राप्त करने का उपाय बताएं।
संत ने कहा, झील पार करने के बाद, आपको एक और पर्वत मिलेगा। उसे पार करिए, और एक पेड़ मिलेगा! जिस पर पीले पीले फल लगे होंगे। उन फलों में से एक खा लीजिए, और आपको अमरता के साथ यौवन भी मिल जाएगा।
राजा ने दूसरा पर्वत पार किया, और एक पेड़ देखा! जिस पर पीले फल लगे थे। जैसे ही उन्होंने फल तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया, उन्हें तेज बहस और लड़ाई की आवाजें सुनाई दीं। उन्होंने सोचा, इस सुनसान जगह में, कौन झगड़ सकता है?
राजा ने चार जवान आदमियों को, ऊंची आवाज़ में झगड़ते देखा। राजा ने पूछा, तुम लोग क्यों झगड़ रहे हो? उनमें से एक बोला, मैं 250 साल का हूँ! और मेरे दाहिने वाले व्यक्ति की उम्र 300 साल है। वह मुझे मेरी संपत्ति का हिस्सा नहीं दे रहा।
जब राजा ने दाहिने वाले व्यक्ति से पूछा, उसने कहा, मेरा पिता, जो 350 साल का है, अभी भी जीवित है, और उसने मुझे मेरा हिस्सा नहीं दिया। तो मैं अपने बेटे को कैसे दूं?
उस आदमी ने अपने 400 साल के पिता की ओर इशारा किया, जिन्होंने भी वही शिकायत की। उन्होंने राजा से कहा कि संपत्ति के इस अंतहीन झगड़े की वजह से, गांववालों ने उन्हें गांव से निकाल दिया है।
राजा हैरान होकर संत के पास लौटे! और बोले, धन्यवाद, आपने मुझे मृत्यु का महत्व समझाया।
संत ने कहा, मृत्यु के कारण ही इस संसार में प्रेम है।
मृत्यु के बारे में चिंता करने के बजाय, हर दिन और हर पल को खुशी से जियो। खुद को बदलो, दुनिया बदल जाएगी।
1. जब आप स्नान करते समय, भगवान का नाम लेते हैं! तो वह एक पवित्र स्नान बन जाता है।
2. जब आप खाना खाते समय नाम लेते हैं, तो वह भोजन प्रसाद बन जाता है।
3. जब आप चलते समय नाम लेते हैं, तो वह एक तीर्थ यात्रा बन जाती है।
4. जब आप खाना पकाते समय नाम लेते हैं, तो वह भोजन दिव्य बन जाता है।
5. जब आप सोने से पहले नाम लेते हैं, तो वह ध्यानमय नींद बन जाती है।
6. जब आप काम करते समय नाम लेते हैं, तो वह भक्ति बन जाती है।
7. जब आप घर में नाम लेते हैं, तो वह घर मंदिर बन जाता है!
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सर्वे भवनतु सुखिना:
सर्वे सन्तु निरामया: 🙏जय सियाराम🙏