देहरादून, 28 मई 2025(हमारी चौपाल) उत्तराखंड के ग्राफिक एरा हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक और कीर्तिमान स्थापित किया है। अस्पताल के विशेषज्ञों ने एक अत्यंत दुर्लभ और जटिल हृदय रोग के मामले में सफल उपचार कर 19 वर्षीय युवक को नया जीवन प्रदान किया। इस तरह का मामला न केवल भारत बल्कि विश्व के मेडिकल जर्नल्स में भी दर्ज नहीं है। यह उपलब्धि ग्राफिक एरा अस्पताल की पिछले कुछ समय में छठी बड़ी उपलब्धि है, जो इसे चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी बनाती है।
पत्रकार वार्ता में दी गई जानकारी
ग्राफिक एरा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. एस एल जेठानी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “नवीनतम तकनीक और हमारे कुशल चिकित्सकों के सधे हुए हाथों ने जटिल मामलों में सफलता हासिल कर मरीजों की जिंदगी को भरोसे से जोड़ा है। यह उपलब्धि हमारी टीम के समर्पण और तकनीकी उत्कृष्टता का प्रतीक है।”
जटिल और दुर्लभ मामला
ग्राफिक एरा अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अखिलेश पांडे ने इस अनोखे मामले के बारे में विस्तार से बताया। 19 वर्षीय ऋषिकेश निवासी मोहित ने तीन साल पहले ओपन हार्ट सर्जरी कराई थी, जिसमें हृदय में एक छेद को बंद करने के बाद एक कृत्रिम वाल्व लगाया गया था। हाल ही में जांच के दौरान पता चला कि यह वाल्व अपने स्थान पर नहीं था। डॉ. पांडे ने बताया, “वाल्व के स्थान पर गंभीर संक्रमण हो गया था और टांके गलने के कारण यह वाल्व हृदय से निकलकर पेट की नसों में फंस गया था। इस तरह का मामला विश्व में पहली बार देखा गया, और इसका कोई उल्लेख मेडिकल जर्नल्स में नहीं मिलता।”
चुनौतीपूर्ण सर्जरी और सफलता
इस जटिल स्थिति में डॉ. अखिलेश पांडे और उनकी टीम ने अभूतपूर्व तकनीक का उपयोग किया। पहले बैलून तकनीक की मदद से वाल्व को पेट से सीने तक लाया गया। इसके बाद दूसरी ओपन हार्ट सर्जरी कर पुराने वाल्व को हटाकर नया वाल्व लगाया गया। सर्जरी के महज तीन दिन बाद मोहित चलने-फिरने में सक्षम हो गया और उसका स्वास्थ्य तेजी से सुधर रहा है। इस ऑपरेशन में डॉ. अखिलेश पांडे के साथ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पुलकित मल्होत्रा और एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. एस. पी. गौतम शामिल थे।
मरीज का आभार
ऋषिकेश निवासी मोहित ने ग्राफिक एरा अस्पताल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “यहां के डॉक्टरों ने मुझे नया जीवन दिया है। सरकार के आयुष्मान कार्ड के तहत मेरा पूरा इलाज कैशलेस हुआ, जिससे मेरा परिवार बड़ी आर्थिक परेशानी से बच गया।”
ग्राफिक एरा की तकनीकी उत्कृष्टता
अस्पताल के निदेशक डॉ. पुनीत त्यागी ने बताया कि ग्राफिक एरा में विश्वस्तरीय तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमारे यहां ढाई इंच के छोटे चीरे से बाइपास हार्ट सर्जरी की जा रही है। यह तकनीक मरीजों के लिए कम दर्दनाक और तेज रिकवरी सुनिश्चित करती है।”
ग्राफिक एरा के अन्य कीर्तिमान
यह उपलब्धि ग्राफिक एरा के लिए कोई नई बात नहीं है। इससे पहले अस्पताल ने ब्रेन में पेसमेकर लगाने, जटिल मामले में छोटे बच्चे को तीसरा पेसमेकर लगाने, बिना सर्जरी हृदय के दो वाल्व एक साथ बदलने, बिना ऑपरेशन अवरुद्ध आहार नली खोलने, और हड्डी काटे बिना ढाई इंच के चीरे से ओपन हार्ट सर्जरी जैसे कीर्तिमान स्थापित किए हैं। ये उपलब्धियां ग्राफिक एरा को चिकित्सा के क्षेत्र में एक विशेष स्थान दिलाती हैं।
पत्रकार वार्ता में उपस्थित गणमान्य
पत्रकार वार्ता में ग्राफिक एरा अस्पताल के सीओओ अतुल बहल और निदेशक अवस्थापना डॉ. सुभाष गुप्ता भी मौजूद थे। उन्होंने अस्पताल की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा कि ग्राफिक एरा मरीजों को विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
ग्राफिक एरा हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज ने इस अभूतपूर्व सर्जरी के साथ न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में नया इतिहास रचा है, बल्कि यह भी साबित किया है कि भारत में विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं संभव हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत कैशलेस उपचार की सुविधा ने इस उपलब्धि को और भी सार्थक बनाया है, जिससे जरूरतमंद मरीजों को बिना आर्थिक बोझ के उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा मिल सकी। ग्राफिक एरा की यह उपलब्धि न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।