संवाददाता, हमारी चौपाल | नैनीताल, 26 मई 2025
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रारंभ किए गए “फिट उत्तराखण्ड” अभियान को धरातल पर उतारने की दिशा में कुमायूँ पुलिस ने अनुकरणीय और मानवीय पहल करते हुए एक व्यापक स्वास्थ्य जागरूकता एवं उपचार योजना की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य न केवल पुलिस बल को शारीरिक रूप से अधिक सक्षम बनाना है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, संतुलित जीवनशैली और परिवार के कल्याण को भी समान रूप से प्राथमिकता देना है।
आईजी कुमायूँ श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल ने इस मिशन को लेकर एक विस्तृत कार्य योजना जारी की है, जिसमें हर जनपद को सक्रिय भूमिका निभाने के लिए निर्देशित किया गया है।
बीमार पुलिसकर्मियों की पहचान और स्वास्थ्य परीक्षण का विशेष प्रावधान
पुलिस विभाग के उन कार्मिकों को चिन्हित किया जाएगा, जो मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग आदि जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं। इन कार्मिकों की हर शुक्रवार को आयोजित परेड में अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी, जिसके उपरांत उनका चिकित्सकीय परीक्षण कराया जाएगा। साथ ही, पोषण विशेषज्ञों से परामर्श दिलाकर उन्हें संतुलित आहार, नियमित योग और व्यायाम के लिए प्रेरित किया जाएगा।
इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य यह है कि पुलिसकर्मी अपनी व्यस्त और तनावपूर्ण दिनचर्या में भी स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें, और भविष्य में उत्पन्न होने वाली गंभीर बीमारियों से समय रहते बचाव किया जा सके।
प्रतिसार निरीक्षक होंगे ‘पुलिस स्वास्थ्य कल्याण अधिकारी’
आईजी रिद्धिम अग्रवाल ने निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक जनपद में पुलिस लाइन के प्रतिसार निरीक्षक (RI) को पुलिस स्वास्थ्य कल्याण अधिकारी के रूप में नामित किया जाए, जो जनपद स्तर पर इस योजना की निगरानी और क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे।
गंभीर बीमारियों से पीड़ित कर्मियों के लिए विशेष सुविधा
उत्तराखण्ड पुलिस बल में कई ऐसे कर्मी हैं, जो कैंसर, हृदय रोग, किडनी या लीवर फेल्योर जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। ऐसे मामलों में विभाग द्वारा मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए विशेष राहत और सहायता प्रदान की जाएगी:
1. जीवन रक्षक निधि से तत्काल आर्थिक सहायता:
आकस्मिक उपचार की आवश्यकता होने पर जनपद, परिक्षेत्र और मुख्यालय स्तर से तुरंत आर्थिक सहयोग प्रदान कर इलाज की व्यवस्था की जाएगी।
2. बेहतर अस्पताल में रेफरल और समन्वय:
संबंधित अस्पताल के चिकित्सकों से जनपद प्रभारी स्वयं समन्वय स्थापित करेंगे, ताकि रोगी को उत्तम उपचार मिल सके।
3. परिवार से संवाद और संवेदनशीलता:
डिप्टी एसपी पुलिस लाइन प्रत्येक माह कम से कम एक बार रोगी के परिजनों से फोन पर और एक बार व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे, ताकि उनके संकटों को समझा और यथासंभव समाधान किया जा सके।
4. स्वास्थ्य बीमा और प्रतिपूर्ति की सुविधा:
यदि कार्मिक का इलाज आयुष्मान भारत या गोल्डन कार्ड योजना के तहत अन्यत्र हो रहा हो, तो विभागीय स्तर पर बिलों का शीघ्र भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा।
5. प्राथमिकता से अवकाश स्वीकृति:
गंभीर रोग से पीड़ित कर्मियों को नियमानुसार मिलने वाले अवकाश को प्राथमिकता और सहजता से मंजूर किया जाएगा।
रेंज स्तर पर मॉनिटरिंग और मासिक रिपोर्ट की व्यवस्था
आईजी कुमायूँ ने रेंज स्तर पर एक मजबूत निगरानी प्रणाली स्थापित करने के निर्देश भी दिए हैं। प्रत्येक जनपद प्रभारी को निर्देशित किया गया है कि वे गंभीर बीमारियों से ग्रस्त कर्मियों की सूची आईजी कार्यालय को प्रेषित करें और की गई कार्यवाही की मासिक रिपोर्ट अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें।
“फिट उत्तराखण्ड पुलिस” – एक मानवीय और संवेदनशील पुलिस बल की ओर कदम
आईजी श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल ने कहा कि “पुलिस बल में कार्यरत हर एक कर्मचारी राज्य की सुरक्षा और शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में उनके स्वास्थ्य की उपेक्षा नहीं की जा सकती। ‘फिट उत्तराखण्ड पुलिस’ का यह अभियान केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि हमारे पुलिस परिवार के प्रति संवेदनशील जिम्मेदारी का उदाहरण है।”
मुख्यमंत्री द्वारा शुरू किए गए “फिट उत्तराखण्ड” अभियान को यह पहल कुमायूँ रेंज में एक ठोस और प्रेरणादायक आयाम प्रदान कर रही है। यह न केवल उत्तराखण्ड पुलिस को ज्यादा सजग, सक्षम और संवेदनशील बनाएगा, बल्कि समाज के प्रति पुलिस के सेवा भाव को भी सशक्त करेगा।
हमारी चौपाल विशेष टिप्पणी:
“यदि प्रत्येक विभाग इस तरह की गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ अपने कर्मचारियों की भलाई के लिए आगे आए, तो ‘स्वस्थ उत्तराखण्ड – सशक्त भारत’ का सपना शीघ्र ही साकार हो सकता है।”
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