22,08,2021,Hamari Choupal
रुडक़ी। 35 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुई पेयजल पुनर्गठन योजना से अभी तक लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाया है। जबकि दावा यह किया गया था कि प्रत्येक घर में शुद्ध और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। लोगों के घरों तक कनेक्शन तो लगा दिए, लेकिन उसमें पानी आज तक नहीं पहुंच पाया है। कई स्थानों पर लाइनें लीकेज हैं जिन्हें देखने वाला शायद कोई नहीं है। करीब सात वर्ष पूर्व नगर में पेयजल पुनर्गठन योजना का शुभारंभ हुआ था। उस समय तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष चौधरी इस्लाम द्वारा इस योजना का उद्घाटन किया गया था। कार्यदायी संस्था उत्तराखंड पेयजल निर्माण निगम द्वारा कहा गया था कि तीन वर्षों के भीतर समस्त कार्य पूरा कर लिया जाएगा तथा प्रत्येक घर में शुद्ध व पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा।
उस समय लोगों को भी खुशी हुई थी कि अब उन्हें पर्याप्त व शुद्ध पेयजल उपलब्ध होगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं है। नगर में तीन नए ओवरहेड टैंक बनाए गए इसके अलावा सात स्थानों पर नए नलकूप लगाए गए। पूरे नगर में 50 किलोमीटर से अधिक भूमिगत लाइन बिछाई गई लेकिन जिन लोगों को लाइन बिछाने का कार्य किया गया उनमें अनुभव की भारी कमी थी जिसके चलते कार्य के नाम पर लीपापोती की गई। कार्य की निगरानी करने वाले भी अपनी जिम्मेदारी से भागते नजर आए। परिणाम स्वरूप जब लाइन में पानी छोड़ कर देखा गया तो विभिन्न स्थानों पर लीकेज सामने आई। संयोजन देने के लिए जो पाइप लगाए गए उन्हें नालियों में छोड़ दिए गए इसका नतीजा यह हुआ कि नालियों का गंदा कीचड़ पेयजल लाइन में पहुंचा तथा किसी तरह से यदि किसी घर में पानी पहुंचता भी है तो वह गंदा व बदबूदार होता है जिसको किसी भी काम में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कई मोहल्लों में पानी आता है लेकिन वह इस काबिल नहीं है कि उसको प्रयोग किया जा सके कई मामले ऐसे हैं जिनमें पानी आता ही नहीं है। उत्तराखंड पेयजल निर्माण निगम के ठेकेदारों द्वारा प्रत्येक घर में संयोजन लगाकर वहां पर मीटर तक लगाए गए हैं लेकिन पानी की बूंद वहां पर नहीं पहुंच पाती। सलीम अहमद, नौशाद अली, मोहम्मद हाशिम, असलम जाफरी, रिहान हैदर, नफीस अहमद आदि का कहना है कि उनके घरों में कनेक्शन लगे हैं साथ ही मीटर भी लगाए गए हैं लेकिन पानी नहीं आता है यदि कभी पानी आता भी है तो वह गंदा तथा बदबूदार होता है जिसको किसी भी सूरत में प्रयोग नहीं किया जा सकता।