अल्मोड़ा(आरएनएस)। ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखने का विधान है। सोमवार को वट सावित्री व्रत के मौके पर महिलाएं सुबह से ही मंदिरों और वट वृक्ष की पूजा कर परिवार की सुख समृद्धि और पति की दीर्घायु की कामना करते दिखी। पारंपरिक वेशभूषा में महिलाओं ने सजधज कर सुबह से ही वट वृक्ष के नीचे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना कर पति की लंबी उम्र की कामना की, साथ ही महिलाओं ने वट वृक्ष के नीचे बैठ कर सत्यवान और सावित्री की कथा भी सुनी। मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा लगाकर विधि विधान से पूजा अर्चना करने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती भव: का आशीर्वाद मिलता है। पुराणों के अनुसार वट वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और अग्रभाग में शिव का वास माना गया है। वट सावित्री व्रत करने वाली महिलाओं का कहना था कि यह सुहागिन महिलाओं का महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस त्यौहार का वे पूरे साल बेसब्री से इंतजार करती हैं। इस दौरान महिलाओं ने मंगल गीत भी गाए और सुहाग सामग्री को पुरोहित को दान दिया।
सावित्री व्रत की पौराणिक मान्यता और महत्व
पौराणिक मान्यता है कि पतिव्रता महिला सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से छुड़ाकर वापस ले आई थी। इसदिन विशेष रूप से बरगद के वृक्ष की पूजा की जाती है। मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा करने से पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य का फल प्राप्त होता है। वट सावित्री व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है और हिंदू शास्त्रों में वट सावित्री व्रत की कथा और महत्व बेहद खास है। बता दें कि यह व्रत नारी शक्ति, पति के प्रति समर्पण और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। पूरे भारत में इसे धूमधाम से मनाया जाता है।