देहरादून, 25 मई 2025(हमारी चौपाल)उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष (युवा प्रकोष्ठ) राजेंद्र सिंह बिष्ट ने विधानसभा में प्रोटोकॉल अधिकारी मयंक सिंघल की नियुक्ति और उनके कथित कूट रचित शैक्षिक दस्तावेजों को लेकर सनसनीखेज खुलासा किया है। बिष्ट ने विधानसभा अध्यक्ष रीतू खंडूडी पर इस मामले में केवल औपचारिक जांच की “खानापूर्ति” करने का आरोप लगाया और तत्काल जांच समिति गठित करने की मांग की है।
बिष्ट ने बताया कि 2006 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य और तत्कालीन विधानसभा सचिव के आदेश (पत्रांक संख्या 939/वि.स.339/अधि./2006, दिनांक 27 जुलाई 2006) के तहत मयंक सिंघल को उप प्रोटोकॉल अधिकारी के अस्थायी पद पर नियुक्त किया गया था। आदेश में स्पष्ट था कि लोक सेवा आयोग से उपयुक्त अभ्यर्थी मिलने पर उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी। साथ ही, नियुक्ति के 15 दिनों के भीतर सिंघल को अपने शैक्षिक प्रमाणपत्रों की वैधता साबित करनी थी, लेकिन बिष्ट का दावा है कि उनके कथित फर्जी दस्तावेजों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उक्रांद ने इस मुद्दे को प्रेस और विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष उठाया, जिसके बाद अध्यक्ष ने औपचारिक जांच का आश्वासन दिया। बिष्ट ने मांग की कि एक जांच समिति गठित हो, जो 15 दिनों के भीतर मयंक सिंघल के शैक्षिक दस्तावेजों सहित विधानसभा में तदर्थ और विचलन से नियुक्त सभी कर्मचारियों की जांच करे। उन्होंने मांग की कि जांच पूरी होने तक सिंघल को निलंबित किया जाए। बिष्ट ने यह भी आरोप लगाया कि जिस विश्वविद्यालय से सिंघल ने हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने का दावा किया, उसने कभी प्राइवेट परीक्षाएं आयोजित ही नहीं कीं।
बिष्ट ने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य और सचिव पर भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने अपने पद की गरिमा का दुरुपयोग किया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि एक सप्ताह के भीतर जांच समिति गठित नहीं हुई और सिंघल को निलंबित नहीं किया गया, तो उक्रांद भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ उग्र आंदोलन शुरू करेगा और विधानसभा में ऐसे अधिकारियों का प्रवेश रोकने की कार्रवाई करेगा।
उन्होंने कहा, “जब राज्य का युवा रोजगार के लिए भटक रहा है, तब राष्ट्रीय दल भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देकर अयोग्य लोगों को नियुक्त कर रहे हैं।” बिष्ट ने पूर्व में गठित जय राज सिंह समिति पर भी खानापूर्ति का आरोप लगाया, जिसे अवैध भर्तियों की जांच का जिम्मा सौंपा गया था।
उक्रांद ने मांग की है कि मयंक सिंघल के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के लिए उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज हो, उनके द्वारा लिए गए लाभ की वसूली हो, और लोक सेवा आयोग के माध्यम से योग्य अभ्यर्थी को प्रोटोकॉल अधिकारी के पद पर नियुक्त किया जाए। बिष्ट ने कहा, “उक्रांद भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष जारी रखेगा। यदि एक सप्ताह में कार्रवाई नहीं हुई, तो विधानसभा अध्यक्ष इसकी जिम्मेदार होंगी।”
यह मामला उत्तराखंड की राजनीति और प्रशासन में पारदर्शिता व जवाबदेही के सवाल खड़े करता है, जिस पर जनता की नजरें टिकी हैं।