हल्द्वानी(आरएनएस)। करीब 25 दिनों से अपने बच्चों से दूर रहकर प्रदेश के लिए पदक जीतने को संघर्ष कर रही महाराष्ट्र की कोमल रमेश किर्वे ने मंगलवार को 38वें राष्ट्रीय खेल में वाटरपोलो के रण में अपने शानदार खेल से लोगों का दिल जीत लिया। हालांकि, महाराष्ट्र को फाइनल में सोने की चमक नहीं मिल सकी, लेकिन कोमल ने अपनी कप्तानी में टीम के पदक का रंग चांदी में जरूर बदल दिया है। जबकि 37वें राष्ट्रीय खेल में महाराष्ट्र को कांस्य पदक मिला था। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय खेल परिसर गौलापार के मानसखंड तरणताल में मंगलवार को फाइनल मैच में शानदार प्रदर्शन करने वाली महाराष्ट्र की खिलाड़ी कोमल रमेश किर्वे हार के बाद काफी भावुक नजर आयी। कोमल ने बताया कि वह बीते 20 साल से वाटर पोलो के खेल में हैं। वह एशियन चैंपियनशिप भी खेल चुकी हैं। उन्होंने बताया कि उनके पति रमेश किर्वे भारतीय सेना में तैनात हैं। वह भी वाटरपोलो के खिलाड़ी हैं, लेकिन असम में पोस्टेड होने के कारण नहीं आए हैं। बातों-बातों में अचानक रुआंसी होने पर जब कोमल से कारण जाना तो बताया कि वह खेल के लिए अपने दो छोटे बच्चों को उनके नाना-नानी के पास छोड़कर आयी हैं। जिनकी उनको बहुत याद भी आती है। हालांकि वीडियो कॉल से बात हर रोज होती है, लेकिन बीते 11 दिसंबर से कैंप शुरू होने के बाद से वह बच्चों से दूर हैं। एक बेटा एलकेजी में है और दूसरा नर्सरी में। बच्चों के साथ खेल के लिए सामंजस्य बनाने को लेकर पूछने पर बताया कि बच्चों के जन्म के बाद भी उन्होंने खेल नहीं छोड़ा। बताया कि कि बच्चों और पति को देखकर ही उनको हौसला मिलता है। वह ओलंपिक मेडलिस्ट बॉक्सर मैरी कॉम से प्रेरणा लेती हैं। वह बच्चे होने के बाद भी खेल में लौटी थीं, उससे उनको भी प्रेरणा मिलती है। बताया कि दोनों बच्चों के बीच में करीब डेढ़ साल का अंतर है और इसी बीच नेशनल भी उन्होंने खेला था। परिवार में सभी का साथ मिलता है, जिससे खेल में भी कुछ कर पा रहे हैं। इस बार लंबे समय बाद बच्चों से दूर हैं, तो याद भी आती है। कहा कि यह पदक उनके बच्चों के लिए समर्पित हैं, जिनसे उनको भी प्रेरणा मिलेगी। कहा कि उत्तराखंड आकर स्वर्ण नहीं जीत पाने का मलाल तो है, लेकिन रजत पदक जीतने की खुशी भी है। क्योंकि बीते साल कांस्य पदक मिला था।
दो बेटों की मां कोमल ने वाटरपोलो में बिखेरा जलवा, जीता रजत`
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