हरिद्वार नगर निगम द्वारा सराय स्थित 33 बीघा भूमि को 54 करोड़ रुपये में खरीदने के मामले में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह चौहान की जांच में चार अधिकारियों को दोषी पाया गया है, जिन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
निलंबित अधिकारी और उनकी भूमिका
निलंबित अधिकारियों में सहायक नगर आयुक्त रवीन्द्र कुमार दयाल, अधिशासी अभियंता आनन्द सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट और अवर अभियंता दिनेश चन्द्र काण्डपाल शामिल हैं। ये सभी भूमि खरीद के लिए गठित समिति के सदस्य थे, जिन्होंने अपने दायित्वों का समुचित निर्वहन नहीं किया।
अन्य कार्रवाई
सेवा विस्तार पर कार्यरत सेवानिवृत्त सम्पत्ति लिपिक वेदपाल की संलिप्तता भी जांच में पाई गई है, जिसके कारण उनका सेवा विस्तार समाप्त करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट से स्पष्टीकरण तलब किया गया है।
घोटाले की मुख्य बातें
– भूमि का लैंड यूज अक्टूबर 2024 में एसडीएम द्वारा कृषि से बदलकर औद्योगिक कर दिया गया, जिससे जमीन की कीमत 15 करोड़ से बढ़ाकर 54 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
– नगर निगम ने बिना पारदर्शी बोली प्रक्रिया और शासन की अनुमति के यह खरीददारी की।
– जमीन का उपयोग कूड़ा निस्तारण के लिए किया जाना शर्तों का उल्लंघन है।
– इस पूरे मामले में बड़े अधिकारियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे उच्चस्तरीय संरक्षण की आशंका जताई जा रही है।
प्रकरण की जांच और आगे की कार्रवाई
मुख्यमंत्री के निर्देश पर जांच अधिकारी रणवीर सिंह चौहान को प्रकरण की विस्तृत जांच सौंपी गई है। जांच में दोषी पाए गए अधिकारियों को निलंबित करने के साथ-साथ जमीन बेचने वाले किसानों के खातों को फ्रीज करने के आदेश भी दिए गए हैं। इस घोटाले में पूर्व नगर प्रशासक वरुण चौधरी समेत अन्य उच्च अधिकारियों की संलिप्तता की भी जांच जारी है।
यह मामला हरिद्वार नगर निगम में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही की गहरी जड़ों को उजागर करता है और पारदर्शिता व जवाबदेही की मांग को बल देता है।
यह जांच अभी जारी है और आगे की कार्रवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं।