हरिद्वार,31,03,2023
उत्तराखंड संस्कृत विवि के भाषा एवं आधुनिक ज्ञान विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित प्रेमचंद साहित्य पर राष्ट्रीय आख्यान विषय प्रेमचंद जीवन और साहित्य, कुछ प्रश्न’ पर आधारित ऑनलाइन व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से किया गया और संचालन विभागाध्यक्ष प्रो. दिनेश चंद्र चमोला ने किया।
डॉ.कमल किशोर गोयनका ने कहा कि ‘हिंदी साहित्य आज जिस फलक को छू रहा है। उसे यही प्रमाणित होता है कि प्रेमचंद के परिपेक्ष्य में देश विदेश में रचे जा रहे हिंदी साहित्य को नहीं प्रवृत्ति की दिशा में कुछ मान्यताएं समस्याएं और समाधान हैं। जिनके माध्यम से विडंबनानाएं, अपेक्षाएं अनेक पड़ावों पर साहित्य का मूल्यांकन करने वालों की समग्र विचारधाराओं के रूप में सामने आती हैं। कहा कि कोई भी रचनाकार समय और समाज से पृथक होकर लेखन नहीं कर सकता। परिस्थितियों का पारखी ही जीवंत रचनाओं को जन्म दे सकता है। प्रेमचंद साहित्य मानवता व मनुष्य को पहचानने का साहित्य है।
डॉ.गोयनका ने कहा कि बिना संघर्ष के उत्कर्ष नहीं होता। बिना समस्याओं और संकटों के व्यक्ति महान नहीं होता, तत्कालीन समस्या और संघर्षों की उपज मुंशी प्रेमचंद है। इस अवसर पर डॉ.प्रतिभा शुक्ला, डॉ.सुशील उपाध्याय, डॉ.सुमन प्रसाद भट्ट, डॉ.सुशील चमोली, डॉ.उमेश कुमार शुक्ल, डॉ.रीना अग्रवाल, डॉ.शिवचरण, शोधार्थी अनूप बहुखंडी, ललित शर्मा, रेखा, वंशिका, आरती सैनी, वैभव गर्ग, दीपक रतूड़ी, रागनी, अनीता, पंचराम, मनोज, रोहित मेंदोला, नरेंद्र थपलियाल, गिरीश सती, अमन दुबे, मेघा शर्मा, विवेक जोशी, योगी दिवाकर, अंकित उनियाल, अनुपमा, विजय यादव आदि छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।