HamariChoupal,20,08,2025
देहरादून( हमारी चौपाल )जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय में मंगलवार को सामने आया एक मामला पूरे समाज को भावुक कर गया। एक सेवानिवृत्त राजपत्रित अधिकारी पिता ने अपनी बीमार बहु, अल्पवेतनभोगी बेटे और महज चार साल की मासूम पौती को घर से निकालने की साजिश रची। इसके लिए उन्होंने भरणपोषण अधिनियम का सहारा लिया और बेटे-बहु पर झूठा वाद दायर किया।
लेकिन जिला मजिस्ट्रेट ने मात्र दो सुनवाई में ही पूरे मामले की सच्चाई परख ली। जांच में सामने आया कि माता-पिता स्वयं चलने-फिरने में सक्षम हैं और 55 हजार रुपये मासिक आय अर्जित करते हैं। वहीं बेटा अमन वर्मा मात्र 25 हजार की नौकरी से अपनी पत्नी मीनाक्षी और चार वर्षीय बेटी का किसी तरह पालन-पोषण कर रहा है।
डीएम ने इस संवेदनशील प्रकरण में स्पष्ट कहा कि—
महज उम्रदराज होना बहु-बच्चों को बेघर करने का लाइसेंस नहीं है।
*कब्जा दिलाया, सुरक्षा भी सुनिश्चित*
डीएम ने बेटे-बहु को घर में पुनः प्रतिस्थापित किया और एसएसपी को निर्देश दिए कि हर माह दो बार मौके पर निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करें कि दंपत्ति को किसी तरह की प्रताड़ना न हो। क्योंकि यह तथ्य भी सामने आया कि पिता पहले बाहरी लोगों को बुलाकर बेटे-बहु को पिटवा चुका है।
मासूम बच्ची का भविष्य बचाया
इस फैसले से न सिर्फ बहु-बेटे को राहत मिली बल्कि उस चार वर्षीय बच्ची का भविष्य भी सुरक्षित हुआ, जो जीवन के उस नाजुक दौर में है जहां उसे केवल अपने माता-पिता के स्नेह, सुरक्षा और एक घर की छत की सबसे ज्यादा जरूरत है।
नजीर बनेगा फैसला
डीएम कोर्ट का यह निर्णय भरणपोषण अधिनियम का दुरुपयोग करने वालों पर कड़ा संदेश है। स्वार्थवश बेटे-बहु और मासूम बच्ची को बेघर करने की साजिश को खंडित कर असहाय परिवार को न्याय दिलाया गया। यह फैसला भविष्य में उन सभी मामलों के लिए नजीर बनेगा जिनमें झूठे मुकदमों के जरिए निर्दोषों के अधिकार छीनने की कोशिश की जाती है।
जिला प्रशासन के इस न्यायप्रिय और संवेदनशील कदम ने एक बार फिर यह भरोसा जगाया है कि कानून की आड़ लेकर कोई भी असहायों का हक नहीं छीन सकता।