रेनु शर्मा
मुजफ्फरनगर हरिद्वार( हमारी चौपाल) दीपों के पर्व पर जब चारों ओर उजाला फैला हुआ था, उसी रोशनी में पत्रकारिता की चमक और भी तेज़ दिखाई दी। संयुक्त पत्रकार महासभा के राष्ट्रीय कार्यालय, अस्पताल चौक, चर्च मार्केट, सरवत रोड मुजफ्फरनगर में आयोजित भव्य दीपावली सम्मेलन पत्रकारों की एकता, सम्मान और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक बन गया। प्रदेश के कई जिलों से पहुंचे पत्रकारों ने कार्यक्रम में शिरकत कर यह संदेश दिया कि सच्चे कलमकार जब साथ आते हैं तो समाज में सच्चाई और उम्मीद की रौशनी अपने आप फैल जाती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संयुक्त पत्रकार महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोनू कुमार ने की, मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय किसान मजदूर संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी शाह आलम मौजूद रहे, जबकि मंच का संचालन वरिष्ठ पत्रकार मुशर्रफ सिद्दीकी ने किया। अपने अद्भुत अंदाज़, प्रभावशाली आवाज़ और सधे हुए शब्दों से उन्होंने पूरे कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। उनका संचालन न केवल पेशेवर निपुणता का उदाहरण था, बल्कि यह पत्रकारिता के अनुशासन और गरिमा का परिचायक भी रहा। सभागार में जब उन्होंने मंच संभाला तो माहौल में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। उनके संचालन ने पूरे कार्यक्रम को एक दिशा दी और हर वक्ता के शब्दों में प्रभाव जोड़ दिया।
दीपावली सम्मेलन के मुख्य आकर्षण रहे संयुक्त पत्रकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरताज अहमद, जिन्होंने अपने संबोधन में कहा कि “संयुक्त पत्रकार महासभा पत्रकारों की आवाज़ है और यह संगठन हर उस पत्रकार के साथ खड़ा है जो सच्चाई और न्याय के लिए अपनी कलम चला रहा है।” उन्होंने कहा कि पत्रकार समाज का आईना हैं, जो बिना किसी भय या दबाव के सच्चाई को सामने लाने का साहस रखते हैं। महासभा का उद्देश्य पत्रकारों को एकजुट करना, उनके अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है। सरताज अहमद ने कहा कि दीपावली का यह पर्व प्रकाश का प्रतीक है और पत्रकार वही दीप हैं जो अंधकार में भी सच्चाई की लौ जलाए रखते हैं। उन्होंने सभी अतिथियों और पत्रकारों का फूलमालाओं से स्वागत किया तथा उन्हें सम्मान पत्र और मिठाई भेंट कर सम्मानित किया। उपस्थित पत्रकारों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनके नेतृत्व और संगठनात्मक दृष्टि की प्रशंसा की।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में देवबंद से पालिका अध्यक्ष प्रत्याशी और कांग्रेस पार्टी की जिलाउपाध्यक्ष डॉ. शाज़िया नाज़ एडवोकेट भी उपस्थित रहीं। उन्होंने अपने प्रभावशाली वक्तव्य में कहा कि “पत्रकार समाज का आईना हैं। सच्ची पत्रकारिता वही है जो निर्भीक होकर सच को सामने लाए। जिस समाज में पत्रकारों का सम्मान होता है, वही समाज प्रगति की ओर बढ़ता है।” उन्होंने कहा कि संयुक्त पत्रकार महासभा आज पत्रकारों के अधिकार और आत्मसम्मान की सशक्त आवाज़ बन चुकी है। डॉ. शाज़िया नाज़ ने राष्ट्रीय अध्यक्ष सरताज अहमद के दूरदर्शी नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी सोच में संगठन की मजबूती और पत्रकारों का हित सर्वोपरि है। उनकी उपस्थिति ने पूरे समारोह की गरिमा को बढ़ा दिया और सभागार में लंबे समय तक तालियाँ गूंजती रहीं।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार अरशद राणा ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “कलम की ताक़त सबसे बड़ी ताक़त होती है। पत्रकार जब सच्चाई के साथ खड़ा होता है तो वह समाज की दिशा बदल सकता है।” अरशद राणा ने संयुक्त पत्रकार महासभा की गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि सरताज अहमद ने जिस तरह से पत्रकारों को एक मंच पर लाने का कार्य किया है, वह वाकई प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता आज कई चुनौतियों से जूझ रही है, लेकिन यदि पत्रकार एकजुट रहें और निडर होकर लिखें तो कोई ताक़त सच्चाई को दबा नहीं सकती। अरशद राणा की बातों ने उपस्थित पत्रकारों के भीतर जोश और आत्मविश्वास भर दिया। उनके सधे हुए विचारों, अनुभव और स्पष्ट दृष्टिकोण ने सभी का दिल जीत लिया।
दीपावली सम्मेलन में उत्साह और भाईचारे का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। पत्रकारों ने एक-दूसरे को दीपावली की शुभकामनाएं दीं और दीप जलाकर यह संकल्प लिया कि सच्चाई की लौ को कभी बुझने नहीं देंगे। पूरे सभागार में एकता, सौहार्द और सम्मान का वातावरण दिखाई दे रहा था। कार्यक्रम के अंत में मिठाई वितरण और समूह फोटो सत्र हुआ, जिसमें हर चेहरा गर्व और संतोष से दमक रहा था।
पत्रकारों ने कहा कि संयुक्त पत्रकार महासभा आज देशभर में पत्रकारों का सबसे मजबूत मंच बन चुका है, जिसने हर कलमकार को सम्मान की नई पहचान दी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष सरताज अहमद का नेतृत्व इस संगठन के लिए प्रेरणास्रोत है। उनकी ईमानदारी, निष्ठा और संवेदनशील दृष्टि ने महासभा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
दीपों की रौशनी और कैमरों की चमक में सजी यह शाम पत्रकारिता की सच्चाई, एकता और सम्मान की मिसाल बन गई। यह दीपावली सम्मेलन सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि पत्रकारों के हौसले, संघर्ष और उनके जज़्बे की पहचान बनकर इतिहास में दर्ज हो गया।
