HamariChoupal,19,2025
देहरादून, 19 अगस्त। उत्तराखंड में हाल ही में आई भीषण आपदाओं के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने राज्य सरकार पर आपदा प्रबंधन को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस उत्तराखंड राज्य ने अपने गठन के समय ही अलग से आपदा प्रबंधन मंत्रालय बनाया था, वही आज प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है।
डॉ. रावत ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन को उपनल व अस्थायी कर्मचारियों के भरोसे छोड़ दिया है, जबकि यह विभाग हर साल भारी तबाही और जनहानि को देखते हुए सबसे संवेदनशील माना जाता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में उत्तरकाशी के धराली और पौड़ी जनपद के कई क्षेत्रों में आई आपदा ने प्रशासन की तैयारी की पोल खोल दी है।
पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग का दायित्व मुख्यमंत्री के पास है, जो पहले से ही कई अहम विभाग देख रहे हैं। उन्होंने मांग की कि इस विभाग को किसी अन्य जिम्मेदार मंत्री को सौंपा जाना चाहिए ताकि आपदा जैसी घड़ी में राहत कार्यों की सही निगरानी हो सके।
डॉ0 हरक सिंह रावत ने कहा कि यूपीए सरकार के समय आपदा के लिए 100 प्रतिशत बजट केन्द्र सरकार वहन करती थी जबकि वर्तमान में 90 प्रतिशत केन्द्र व 10 प्रतिशत राज्य सरकार वहन कर रही है। वर्तमान में प्रदेश में आपदा का बजट मात्र 1012 करोड है जिसे बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा धराली आपदा के लिए 40 करोड़ रूपये के बजट का आवंटन किया गया है जबकि पौडी सहित अन्य जनपदों में भी लोगों को आपदा से जूझना पड़ा है, परन्तु अन्य आपदाग्रस्त क्षेत्रों के लिए बजट आवंटित नहीं किया गया है राज्य सरकार की ओर से अन्य जिलों के लिए भी समुचित बजट आवंटित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि धराली जैसी आपदा में मृतकों के परिजनों को केवल 4 लाख तथा घायलों को 2 लाख का प्रावधान किया गया है जिसे बढ़ाकर कम से कम 25 लाख एवं 10 लाख किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंगभंग की हानि होने की स्थिति में मात्र 74000 रूपये तथा 40 से 60 प्रतिशत विकलांगता पर केवल 2.50 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है जबकि 60 प्रतिशत विकलांगता पर कम से कम 15 लाख रूपये का मुआबजा दिया जाय ताकि विकलांग व्यक्ति अपनी आजीविका चला सके। उन्होंने यह भी कहा कि आपदा में घायलों का सम्पूर्ण उपचार राज्य सरकार की ओर से मुफ्त में किया जाना चाहिए।
डॉ0 हरक सिंह रावत ने राज्य सरकार के इस निर्णय पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि आपदा के कारण जिन लोगों के घर बह गये हैं उन्हें केवल 2500 रूपये देकर उनका मजाक उड़ाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे परिवारों को कम से कम इतनी राहत राशि दी जानी चाहिए कि वे अपनी आजीविका चला सकें। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार कृषि भूमि तथा फसलों के बहने पर भी किसानों को समुचित मुआबजा दिया जाय तथा इसी प्रकार पशुधन की हानि होने पर दिये जाने वाले मुआबजे को बढ़ाया जाय।
डॉ0 हरक सिंह रावत ने यह भी कहा कि केदारनाथ आपदा के समय तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा शासनादेश जारी कर होटल व्यवसाय, रिजार्ट, लॉज वालो के नुकसान की भरपाई के लिए उचित मुआबजे का प्रावधान किया गया था। वर्तमान में भी इन व्यवसायियों को बाजार मूल्य पर मुआबजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के स्तर पर भी राज्य में दीर्घकालीन आपदा प्रबन्धन तैयारियों के लिए राज्य को विषेश पैकेज का प्रावधान किया जाना चाहिए। उन्होंने मैदानी क्षेत्रों में आपदा से घरों को हुए नुकसान झोपडियों, गौशालाओं, विद्यालयों, स्वास्थ्य केन्द्रों पंचायत व सार्वजनिक भवनों को हुए नुकसान की भी उचित क्षतिपूर्ति की मांग की।
गैरसैंण विधानसभा सत्र को लेकर डॉ. रावत ने तंज कसते हुए कहा कि राज्य सरकार ऐसे बर्ताव कर रही है मानो वह हिमालय की एवरेस्ट चढ़ाई कर रही हो। जब पूरा राज्य आपदा से जूझ रहा है, तब मंत्री हेलीकॉप्टर से गैरसैंण जा रहे हैं और विधायक अपनी जान जोखिम में डालकर सड़कों से वहां पहुंच रहे हैं।
पत्रकार वार्ता में महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला, प्रदेश प्रवक्ता डॉ. प्रतिमा सिंह, शीशपाल सिंह बिष्ट, सोशल मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह, वीरेन्द्र पोखरियाल, विनोद चौहान और एनएसयूआई अध्यक्ष विकास नेगी भी मौजूद रहे।