HamariChoupal,30,07,2025
चंदुल ने जिलाधिकारी को बताया था कि उनके तीन बच्चे, राहुल कुमार (कक्षा-7), विकास (कक्षा-5) और आकाश (कक्षा-3) सरकारी स्कूल में पढ़ रहे थे। उनके पति दिव्यांग होने के कारण कामकाज करने में असमर्थ हैं और वह स्वयं भी लोगों के घरों में चौका-बर्तन करके मुश्किल से घर का खर्च चलाती हैं। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं (पैरों में सूजन) के कारण उन्हें काम करने में भी परेशानी होती है। अपनी खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए आवासीय स्कूल में दाखिले का अनुरोध किया था।
जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देशों पर, प्रशासन की टीम ने तत्काल कार्यवाही की। चंदुल के बड़े बेटे राहुल कुमार (कक्षा-7) को नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास, जस्सोवाला विकासनगर में दाखिला मिला है, जबकि उनके मंझले और छोटे बेटे विकास (कक्षा-5) और आकाश (कक्षा-3) को नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास, कौलागढ़ में प्रवेश दिलाया गया है।
यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि जिला प्रशासन कागजों पर लिखी बातों को सिर्फ आदेश नहीं मानता, बल्कि जनहित में हर शब्द को न्याय की गारंटी मानता है। एक ऐसे समय में जब अपाहिज पति और स्वयं बीमार चंदुल के पास कमाई का कोई साधन नहीं था और बच्चों की पढ़ाई का डर उन्हें सता रहा था, जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में जिला प्रशासन ने सक्रिय भूमिका निभाते हुए इस परिवार को सहारा दिया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और न्याय – सब एक छत के नीचे उपलब्ध कराने की जिला प्रशासन की प्रतिबद्धता का यह एक और जीवंत उदाहरण है।