देहरादून ( हमारी चौपाल)शिमला बायपास, देहरादून के आसपास बहने वाली आसन नदी में अवैध खनन की गतिविधियों ने एक बार फिर स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों का ध्यान खींचा है। ताजा जानकारी के अनुसार, आसन नदी के किनारे बड़े पैमाने पर अवैध रेत और बजरी खनन की शिकायतें सामने आई हैं, जिससे नदी का पर्यावरणीय संतुलन खतरे में पड़ गया है। यह क्षेत्र न केवल जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए जल स्रोत के रूप में भी अहम है।
अवैध खनन का प्रभाव और चिंताएँ
- स्थानीय निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि अवैध खनन के कारण नदी का प्रवाह बाधित हो रहा है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। इसके अलावा, नदी तट पर बने गड्ढों से आसपास की कृषि भूमि को भी नुकसान हो रहा है। एक स्थानीय निवासी ने बताया कि , “खनन माफिया अब तो दिन और रात के अंधेरे में भारी मशीनों का उपयोग कर रहे हैं। प्रशासन को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।”
प्रशासन की कार्रवाई और चुनौतियाँ
हालांकि, उत्तराखंड सरकार और स्थानीय प्रशासन ने अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए कई बार दिशा-निर्देश जारी किए हैं, लेकिन कार्यान्वयन में कमी देखी गई है। हाल के एक समाचार स्रोत के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के पड़ोसी क्षेत्रों में भी अवैध खनन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए टीमें तैनात की गई हैं, और कई अवैध रास्तों को नष्ट किया गया है। शिमला बायपास क्षेत्र में भी इसी तरह की कार्रवाई की मांग तेज हो रही है।
ताजा घटनाक्रम
सूत्रों के अनुसार, शिमला बायपास के नजदीक आसन नदी के किनारे हाल ही में कुछ स्थानीय लोगों ने प्रशासन को अवैध खनन की गतिविधियों की शिकायत दर्ज की है। खनन माफिया कथित तौर पर ट्रैक्टर और भारी मशीनों का उपयोग कर रेत और बजरी निकाल रहे हैं, जिससे नदी का प्राकृतिक स्वरूप प्रभावित हो रहा है। प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कार्रवाई की खबर नहीं मिली है। इसके अलावा, अवैध खनन के लिए बनाए गए अनधिकृत रास्तों ने जंगल और हरे-भरे क्षेत्रों को भी नुकसान पहुंचाया है।
आगे की राह
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए कड़े नियमों के साथ-साथ स्थानीय समुदायों को जागरूक करना जरूरी है। हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन की निगरानी के लिए ऑनलाइन शिकायत प्रकोष्ठ और सीसीटीवी निगरानी जैसे कदम उठाए गए हैं, और उत्तराखंड में भी ऐसे उपायों की जरूरत है।
आसन नदी में अवैध खनन का मुद्दा शिमला बायपास क्षेत्र में गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। प्रशासन से मांग की जा रही है कि वह तत्काल छापेमारी कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण और नदी के प्राकृतिक स्वरूप को बचाने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की जरूरत है। इस मामले में अगले कुछ दिनों में प्रशासन की कार्रवाई पर सभी की नजर रहेगी।