Dehradun,16,11,2025
*(देहरादून एक बार फिर विज्ञान और नवाचार का केंद्र बना, जहां बुधवार को छठे देहरादून अंतरराष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव 2025 का रंगारंग और भव्य शुभारंभ हुआ। यूकास्ट झाझरा परिसर में आयोजित तीन दिवसीय महोत्सव ने न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के वैज्ञानिक समुदाय, रिसर्चर्स, तकनीकी विशेषज्ञों और हजारों छात्रों को एक ही मंच पर जोड़ दिया। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रदेश के वन, तकनीकी शिक्षा एवं संसदीय कार्य मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा फीता काटकर किया गया, जिन्होंने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि भारत आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शक्ति के दम पर दुनिया के शीर्ष देशों में खड़ा है। विशेषकर स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में। उन्होंने ज्ञान के विस्तार और विज्ञान की पहुंच को समाज की प्रगति का मूल आधार बताते हुए कहा कि “ज्ञान बांटने से हमेशा बढ़ता है” और यही भावना ऐसे आयोजनों को जन-जन तक पहुंचाती है। उद्घाटन समारोह में राज्य और देश के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों का सम्मान किया गया, वहीं महोत्सव के पहले ही दिन युवा वैज्ञानिकों, स्टार्टअप्स और स्कूली छात्रों में नवाचार का जोश देखने लायक रहा, जिसने महोत्सव को एक विज्ञान-उत्सव में बदल दिया।)*
छठे देहरादून अंतरराष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव 2025 का बुधवार को रंगारंग शुभारंभ हुआ। यूकास्ट झाझरा में शुरू हुए तीन दिवसीय (12 नवंबर से 14 तक) विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के इस महोत्सव का उद्घाटन प्रदेश के वन, तकनीकी शिक्षा एवं संसदीय कार्य मंत्री सुबोध उनियाल ने फीता काटकर किया। इस अवसर पर उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि हमारा देश विश्व में आज जिस स्थान पर पहुंचा है उसके पीछे सबसे बड़ा योगदान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास का है। उन्होंने कहा कि आज हम स्पेस टेक्नोलॉजी में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है। उन्होंने जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि ज्ञान एक ऐसी वस्तु है जो बांटने से हमेशा बढ़ती है। उन्होंने कहा कि ज्ञान किसी भी उम्र में किसी भी समय किसी से भी प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रचार प्रसार के लिए इस तरह के आयोजनों की प्रशंसा की। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने उत्तराखंड के विकास में अमूल्य योगदान देने वाली वैज्ञानिक संस्थाओं को सम्मानित किया जिनमें प्रमुख रूप से इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पेट्रोलियम के निदेशक डॉक्टर हरिंदर सिंह बिष्ट, ओएनजीसी लिमिटेड के हेड कॉर्पोरेट नीरज कुमार शर्मा, उत्तराखंड जल विद्युत निगम के प्रबंध निदेशक डॉक्टर संदीप सिंघल, सौगंध पौधा केंद्र के निदेशक डॉक्टर नृपेंद्र चौहान, नाबार्ड उत्तराखंड के मुख्य महा प्रबंधक पंकज यादव, सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया के निदेशक डॉक्टर संजय गुप्ता, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर गौरव शर्मा, जेएसडब्ल्यू एनर्जी के निदेशक ज्ञान भद्र कुमार को स्मृति चिन्ह, अवॉर्ड सर्टिफिकेट और उत्तराखंड में पाई जाने वाली बिच्छू घास के रेशे से बना अंग वस्त्र भेंट किया।
समारोह में अध्यक्षीय भाषण देते हुए पदमश्री पदम भूषण डॉक्टर अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि सन 1800 से पूर्व अमेरिका का पूरे विश्व की जीडीपी में केवल 5% योगदान था लेकिन वैज्ञानिक क्रांति के बाद उसका योगदान तेजी से बढ़ा और आज वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। यह बढ़ोतरी केवल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास का परिणाम है। उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का विकास अत्यंत आवश्यक है और देहरादून अंतरराष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव जैसे आयोजन समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और चेतना विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यूकास्ट के महानिदेशक डॉक्टर दुर्गेश पंत ने अपने स्वागत भाषण में सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यूकास्ट विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से जन-जन को आजीविका और तकनीक से जोड़ने के कार्य में संलग्न है। कार्यक्रम में सम्मानित अतिथियों के अलावा उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के निदेशक डॉक्टर अमित अग्रवाल, कुलसचिव डॉक्टर राजेश उपाध्याय, डीआइटी विश्वविद्यालय के डॉक्टर नवीन सिंघल तथा तकनीकी शिक्षा के पूर्व निदेशक डॉक्टर आर. पी. गुप्ता सहित बड़ी संख्या में वैज्ञानिक, रिसर्चर्स और छात्र उपस्थित थे। मंचासीन सभी अतिथियों का स्वागत देहरादून अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी महोत्सव के आयोजन सचिव डॉक्टर कुमार राज अस्थाना ने एक पौधा भेंटकर किया। इससे पूर्व, महोत्सव के पहले दिन साइंस पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें 39 छात्र-छात्राओं को विभिन्न श्रेणियों में पदमश्री पदम भूषण डॉक्टर अनिल प्रकाश जोशी द्वारा आकर्षक पुरस्कार प्रदान किए गए। यंग साइंटिस्ट एवं स्टार्टअप कॉन्क्लेव में 20 से अधिक स्कूलों की टीमों ने भाग लिया और अपने स्टार्टअप आइडियाज प्रस्तुत किए। इनमें से चार टीमों को 10-10 हजार रुपये की धनराशि देकर पुरस्कृत किया गया। एयर मॉडलिंग वर्कशॉप में 200 से अधिक बच्चों ने छोटे लकड़ी के हवाई जहाज बनाने की ऑन-स्पॉट ट्रेनिंग ली और उड़ान भरकर उत्साह अनुभव किया। रोबोटिक्स वर्कशॉप में 100 से अधिक छात्रों ने रोबोटिक्स की कार्यप्रणाली और छोटे मॉडल बनाकर विज्ञान को करीब से समझा। छात्रों और विज्ञान प्रेमियों ने टेलीस्कोप से सूर्य का अवलोकन किया। इसके अलावा 2000 से अधिक बच्चों ने साइंस एंड टेक्नोलॉजी एक्सजीबिशन और आंचलिक विज्ञान केंद्र का भ्रमण किया।
*जियो थर्मल पॉलिसी बनाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य: डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम*
छठे देहरादून अंतरराष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव के दूसरे दिन आयोजित ग्रीन एनर्जी कॉन्क्लेव में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रदेश के ऊर्जा एवं नियोजन सचिव डॉक्टर आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी को बनाया। उन्होंने बताया कि इसी पॉलिसी के आधार पर भारत सरकार ने भी जियो थर्मल पॉलिसी पर आगे काम शुरू किया। डॉ सुंदरम ने बताया कि 2047 तक विकसित राष्ट्र का सपना पूरा करने के लिए सबसे प्राथमिक आवश्यकता ऊर्जा की होगी और हमें ऊर्जा की वृद्धि एक्स्पोनेंशियल रूप से करनी होगी, इसी को ध्यान में रखते हुए ग्रीन ऊर्जा के ऐसे गैर परंपरागत स्रोत जिसमें कार्बन फुटप्रिंट ना हो इन पर पूरे देश में काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि सोलर एनर्जी ग्रीन एनर्जी का एक बहुत बड़ा स्रोत है लेकिन सोलर एनर्जी का उपयोग हम रात में नहीं कर पा रहे हैं। जैसे ही हम सोलर एनर्जी को बैटरी बेस एनर्जी के अंदर परिवर्तित करते हैं तो उसकी लागत मूल्य में बहुत अधिक वृद्धि हो जाती है। अभी इस पर रिसर्च चल रहा है कि किस तरह से सोलर एनर्जी को स्टोर करके रात में उसका उपयोग किया जाए, जिससे उसके लागत मूल्य में वृद्धि न हो। ओएनजीसी के मुख्य महाप्रबंधक ई संजय मुखर्जी ने बताया कि ओएनजीसी ने उत्तराखंड राज्य में 62 ऐसे जगह को चिन्हित किया है जहां पर जियोथर्मल का स्रोत है, उन स्रोत के माध्यम से जियोथर्मल एनर्जी को दोहन किया जा सकता है जिस पर काम चल रहा है। उरेडा ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से पूरे प्रदेश में सोलर एनर्जी के रूप के विकास में किए गए कार्यों के बारे में बताया। छठे देहरादून विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव के दूसरे दिन कुल 9 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य रूप से स्पेस साइंस क्विज, रूरल एंटरप्रेन्योरशिप एवं स्टार्टअप कांक्लेव, मैजिक ऑफ़ मैथ्स, मॉडल रॉकेट्री वर्कशॉप, स्टेम वर्कशॉप, बायो टेक्नोलॉजी कांक्लेव, साइबर सिक्योरिटी कांक्लेव और कांस्टा कॉन्फ्रेंस शामिल थी। साइबर सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि के रूप में एसटीएफ के एसएसपी नवनीत भुल्लर और नेशनल ई गवर्नेंस प्रोग्राम के उत्तराखंड हेड श्री रवि शंकर सिंह और माया देवी विश्वविद्यालय की वाइस प्रेसिडेंट तृप्ति ज्वेल से मल ने प्रतिभा किया। बायोटेक्नोलॉजी कॉन्क्लेव में भारतीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ. जे एन नौटियाल, डॉ राजीव कुरेले, डॉक्टर पीयूष गोयल ने उपस्थित छात्रों को बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो रहे महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में बताया और बताया कि बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में पूरे विश्व में भारत आठवें स्थान पर है। रूरल एंटरप्रेन्योरशिप एवं स्टार्टअप कॉन्क्लेव में मुख्य अतिथि के रूप में भाग प्रतिभा करते हुए नियोजन विभाग के निदेशक डॉ मनोज पंत एवं इंडस्ट्री विभाग के संयुक्त निदेशक डॉक्टर दीपक मुरारी ने उपस्थित जन समुदाय के साथ संवाद किया और कुछ ऐसे प्रतिभागी जिन्होंने हिमालय की परंपरागत प्रौद्योगिकी और उत्पादों के माध्यम से स्टार्टअप खड़े किए उनके सक्सेस स्टोरी को सुना और किस तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध चीजों को लेकर नए-नए स्टार्टअप्स प्रारंभ किया जा सकते हैं उन पर चर्चा की। साइंस क्विज, मैजिक ऑफ मैथ आदि वर्कशॉप में 1000 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। छठे देहरादून अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव के दूसरे दिन लगभग 4000 से भी अधिक छात्रों ने विभिन्न कार्यक्रमों में प्रतिभा किया और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का लाभ उठाया 3 दिन तक चलने वाली इस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित प्रदर्शनी में 70 से अधिक स्टॉल लगे हैं जिनमें एसडीआरएफ, उत्तराखंड पुलिस टेलीकॉम , एसटीएफ, सुगंध पौधा केंद्र, उत्तराखंड ऑर्गेनिक बोर्ड और भांग और बिच्छू घास के रेशे से बने वस्त्रों की अनोखी एग्जीबिशन सबको अपनी ओर आकर्षित कर रही है।
*“टीचर ऑफ द ईयर” सम्मान के साथ अंतरराष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव का भव्य समापन*
देहरादून अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव का समापन राज्य के प्रतिष्ठित “टीचर ऑफ द ईयर” अवार्ड के साथ संपन्न हुआ । समापन समारोह में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दीवान सिंह रावत, एम्स ऋषिकेश की निदेशक डॉ मीनू सिंह एवं क्वांटम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विवेक कुमार को “वाइस चांसलर ऑफ द ईयर” तथा उत्तराखंड बायोटेक्नोलॉजी काउंसिल के निदेशक डॉ संजय कुमार को “आउटस्टैंडिंग कंट्रीब्यूशन अवार्ड” प्रदान किया गया। 04 संस्थानों डीआइटी विश्वविद्यालय, यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी, क्वांटम विश्वविद्यालय और माया देवी विश्वविद्यालय को अलग अलग श्रेणियों में हिमालयन एजुकेशन एक्सीलेंस अवार्ड प्रदान किया गया।
इस वर्ष 12 अध्यापकों को “एक्सीलेंस इन रिसर्च” अवार्ड से सम्मानित किया गया जबकि चार को “प्रिंसिपल ऑफ द ईयर” अवार्ड से सम्मानित किया गया। जबकि 28 अध्यापकों को “टीचर ऑफ द ईयर” अवार्ड से सम्मानित किया गया। देहरादून अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पूर्व प्रमुख वन संरक्षक एवं हेड ऑफ फॉरेस्ट श्री जयराज ने कहा कि समापन सत्र में जब अध्यापकों को सम्मान देने की बात हो रही है तो अध्यापकों का दायित्व भी बढ़ जाता है उन्होंने अध्यापकों को से कहा कि वह केवल पढ़ाने के लिए ना पढ़ाये बल्कि कुछ अलग तरीके से पढ़ाई और छात्रों में छिपी प्रतिभा को ढूंढ कर आगे लाने का प्रयास करें। अपने अध्यक्षीय भाषण में उत्तराखंड उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष डॉ देवेंद्र भसीन ने कहा कि सभी अध्यापकों को नई शिक्षा नीति पर विचार करने की और उसकी पूरी तरह से समझ कर धरातल पर उतरने की बहुत ही जरूरत है। देहरादून अंतरराष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव के आयोजन सचिव डॉक्टर कुंवर राज अस्थाना ने बताया कि तीन दिन तक चले इस फेस्टिवल में 25 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिनमें ग्रीन एनर्जी कांक्लेव, बायोटेक्नोलॉजी कांक्लेव, मेडिकल टेक्नोलॉजी कांक्लेव, रूरल एंटरप्रेन्योरशिप एवं स्टार्टअप कांक्लेव, बौद्धिक संपदा अधिकार कांक्लेव, यंग साइंटिस्ट एवं स्टार्टअप कांक्लेव, मीट द साइंटिस्ट, ड्रोन टेक्नोलॉजी वर्कशॉप, रोबोटिक वर्कशॉप, मॉडल रॉकेटरी वर्कशॉप, स्टेम वर्कशॉप, साइंस पोस्टर कंपटीशन, साइंस क्विज आदि कार्यक्रमों के अलावा एक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की एक अनोखी प्रदर्शनी का भी आवेदन किया गया था जिसमें आईआईपी, एसडीआरएफ, नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ़ माउंटेनियरिंग, पुलिस टेलीकॉम, एसटीएफ, सेंटर फॉर अरोमैटिक प्लांट्स, जूलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया, बायोटेक्नोलॉजी आदि के अलावा प्रौद्योगिकी आधारित कई स्टार्टअप्स तथा कई इंजीनियरिंग कॉलेज और पॉलिटेक्निक के छात्रों द्वारा बनाए गए मॉडल का प्रदर्शनी शामिल थी। इसके अलावा प्रदर्शनी स्थल पर लगी टेलीस्कोप तथा इलेक्ट्रिक व्हीकल आकर्षण का केंद्र थे। साइंस पोस्टर, साइंस क्विज एवं मैथ क्विज में कुल 108 छात्रों को ऑन द स्पॉट आकर्षक पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। यंग साइंटिस्ट एवं स्टार्टअप कॉन्क्लेव में चार विजेता टीमों को 10000- 10000 रुपए का चेक प्रदान किया गया। 100 से अधिक छात्रों को एयरोमॉडलिंग वर्कशॉप में निशुल्क किट प्रदान की गई। स्टेम वर्कशॉप में 100 से अधिक बच्चों किट भी प्रदान की गई। 40 बच्चों ने रॉकेट बनाने की हैंड्स ऑन ट्रेनिंग ली। छात्रों द्वारा बनाए गए रॉकेट्स को यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉक्टर दुर्गेश पंत ने अपने हाथों से लॉन्च किया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इस अनोखे महोत्सव में छात्रों को नई-नई तकनीकियों के बारे में जानने का मौका मिला और वैज्ञानिकों के साथ संवाद करने का मौका भी मिला साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी में बहुत सी प्रदर्शनियां ऐसी थी जो सामान्य रूप से किसी के लिए भी उपलब्ध नहीं थी। बच्चों को प्रौद्योगिकी के बारे में जानकर बहुत ही आनंद महसूस हुआ। कार्यक्रम का स्वागत भाषण यूकॉस्ट के संयुक्त निदेशक डॉक्टर डीपी उनियाल ने दिया। कार्यक्रम के समन्वयक एवं टीचर ऑफ द ईयर स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य सचिव उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय गोपेश्वर कैंपस के निदेशक डॉक्टर अमित अग्रवाल ने टीचर ऑफ द ईयर के नॉमिनेशन प्रक्रिया और स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बारे में अवगत कराया। कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा ए एस उनियाल, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ओपीएस नेगी, एम्स ऋषिकेश की निदेशक मीनू सिंह, कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति दीवान सिंह रावत, डीएवी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य अजय कुमार सक्सेना, तकनीकी शिक्षा विभाग के पूर्व निदेशक आर पी गुप्ता, क्वांटम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर विवेक कुमार सहित बड़ी संख्या में वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता, अध्यापक, छात्र एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी में प्रतिभा करने वाले विभागों के प्रतिनिधि मौजूद थे।