HamariChoupal,02,09,2025
देहरादून ( हमारी चौपाल )नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स ऑन वीमेन सेफ्टी (NARI-2025) में देहरादून को देश के दस असुरक्षित शहरों की सूची में शामिल किए जाने पर दून पुलिस ने कड़ा ऐतराज़ जताया है। एसएसपी अजय सिंह ने प्रेस वार्ता कर स्पष्ट किया कि यह रिपोर्ट किसी सरकारी संस्था या राष्ट्रीय/राज्य महिला आयोग की आधिकारिक पहल नहीं है, बल्कि एक निजी सर्वे कंपनी द्वारा सीमित आधार पर तैयार की गई है। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने भी यह स्वीकार किया है कि इस सर्वे का आयोग से कोई संबंध नहीं है।
सर्वे की पद्धति पर सवाल
पुलिस ने बताया कि देश के 31 शहरों में यह सर्वे किया गया, जिसमें केवल 12,770 महिलाओं से टेलीफोन और ऑनलाइन बातचीत के जरिए राय ली गई। देहरादून में जहां महिला आबादी लगभग 9 लाख है, वहां मात्र 400 महिलाओं के नमूने पर आधारित निष्कर्ष को पूरे शहर की तस्वीर मानना उचित नहीं है। इसके अलावा प्रतिभागियों की उम्र, पृष्ठभूमि, रोजगार या स्थानीयता जैसी जानकारियां भी स्पष्ट नहीं हैं।
पुलिस की ओर से दिए गए आंकड़े
देहरादून पुलिस ने महिला सुरक्षा से जुड़े ठोस आंकड़े साझा करते हुए बताया कि अगस्त माह में डायल 112 पर कुल 12,354 कॉल्स में से केवल 2,287 (18%) शिकायतें महिलाओं से संबंधित थीं। इनमें से भी 1,664 मामले घरेलू विवाद से जुड़े थे, जबकि छेड़खानी या यौन शोषण जैसी शिकायतें मात्र 11 थीं। यानी कुल शिकायतों में छेड़छाड़ की हिस्सेदारी 1% से भी कम रही। पुलिस का औसत रिस्पांस टाइम भी 13.33 मिनट दर्ज किया गया।
सुरक्षा इंतजामों की हकीकत
महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस ने बताया कि देहरादून में गौरा शक्ति एप पर 1.25 लाख से अधिक पंजीकरण हैं, जिनमें 16,649 पंजीकरण केवल दून जिले से हैं। इसके अलावा डायल 112, पुलिस एप, सीएम हेल्पलाइन और सिटीजन पोर्टल के जरिए भी महिलाएं सीधे पुलिस से जुड़ी हैं।
शहर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं
हर थाने पर महिला हेल्प डेस्क और हेल्पलाइन
वन स्टॉप सेंटर की सुविधा
13 ‘गौरा चीता’ पेट्रोलिंग यूनिट्स, जिनमें प्रशिक्षित महिला पुलिसकर्मी तैनात
भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में ‘पिंक बूथ’
14,000 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की मॉनिटरिंग
इसके साथ ही नियमित रूप से आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं और स्कूल-कॉलेजों सहित कार्यस्थलों पर महिला सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
रिपोर्ट और वास्तविकता में अंतर
पुलिस ने बताया कि सर्वे में पुलिस पेट्रोलिंग को लेकर दिए गए आंकड़े स्वयं विरोधाभासी हैं। उदाहरण के लिए, रिपोर्ट के अनुसार देश का सबसे सुरक्षित शहर कोहिमा का स्कोर 11% है, जबकि देहरादून का स्कोर 33% है। इसी तरह सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न के मामले में देश का औसत 7% है, जबकि देहरादून का केवल 6%।
एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि देहरादून हमेशा से एक सुरक्षित शहर रहा है। यही कारण है कि यहां प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान, बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों से आए छात्र-छात्राएं और विदेशी विद्यार्थी सुरक्षित माहौल में पढ़ाई कर रहे हैं। साथ ही, यहां वर्षभर भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। यह स्वयं इस बात का प्रमाण है कि शहर आम नागरिकों और बाहरी लोगों दोनों के लिए सुरक्षित है।
उन्होंने कहा
“हम सर्वेक्षण के निष्कर्षों का सम्मान करते हैं, लेकिन नीतिगत निर्णय केवल मजबूत और तथ्याधारित पद्धति पर ही होने चाहिए। देहरादून को असुरक्षित शहर बताना वास्तविकता से परे है।”