रुद्रप्रयाग,23,09,2025
-कालीमठ में एक साथ होती है दुर्गा के तीन रूपों की पूजा
-मां मठियाणा, मां चामुंडा, हरियाली देवी में भी दिखी भारी भीड़
रुद्रप्रयाग। जिले के सभी शक्तिपीठों में शारदीय नवरात्रों के दूसरे दिन भगवती दुर्गा के मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा-अर्चना की गयी। शारदीय नवरात्रों के प्रथम दिन ही सभी शक्तिपीठों में भक्तों की भारी भीड़ रही। विद्वान आचार्यों की वेद ऋचाओं, भक्तों के जयकारों तथा महिलाओं के धार्मिक भजनों से सभी शक्तिपीठों का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। शारदीय नवरात्रों के प्रथम दिन सिद्धपीठ कालीमठ, कालीशिला, मां मठियाणा, हरियाली देवी, चामुंडा देवी, कोटी माहेश्वरी, चामुण्डा देवी, काली शिला, राकेश्वरी मन्दिर, राजराजेश्वरी मन्दिर सहित सभी अन्य शक्तिपीठों में सैकड़ों भक्तों ने पूजा-अर्चना कर मनौती मांगी तथा विश्व समृद्धि व क्षेत्र की खुशहाली की कामना की।
सरस्वती नदी के किनारे बसे सिद्धपीठ कालीमठ में भी सैकड़ों भक्तों ने पूजा-अर्चना की। सिद्धपीठ कालीमठ व कोटि माहेश्वरी तीर्थ में प्रतिदिन सैकड़ों भक्तों की आवाजाही होने से कालीमठ घाटी के विभिन्न हिल स्टेशनों पर रौनक बनी हुई है। देहरादून निवासी अजय डबराल व ऋर्षिकेश निवासी संजीव भट्ट के सहयोग से सिद्धपीठ कालीमठ मन्दिर सहित सहायक मन्दिरो को लगभग 8 कुन्तल फूलों से सजाया गया है, जबकि शारदीय नवरात्रे के प्रथम दिन राज्य मंत्री चण्डी प्रसाद भट्ट, पूर्व राज्यमंत्री अशोक खत्री, बद्री केदार मन्दिर समिति सदस्य श्रीनिवास पोस्ती सहित अन्य भक्तों ने सिद्धपीठ कालीमठ पहुंचकर पूजा-अर्चना की। कालीमठ मन्दिर प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि शारदीय नवरात्रे के प्रथम दिन सैकड़ों भक्तों ने सिद्धपीठ कालीमठ में पूजा-अर्चना कर मनौती मांगी। उन्होंने बताया कि कालीमठ तीर्थ में भगवती दुर्गा के तीनों रुपों की पूजा होने से श्रद्धालुओं को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। वेदपाठी रमेश चन्द्र भटट ने बताया कि सिद्धपीठ कालीमठ तीर्थ में भगवती दुर्गा के महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती तीनों रूपों की पूजा एक साथ होने से महाकाली तीर्थ में पूजा का अधिक महत्व है। पण्डित दिनेश चन्द्र गौड़ ने बताया कि सिद्धपीठ कालीमठ में युगों से प्रज्जवलित धुनी की भस्म धारण करने से मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है।