देहरादून,19,11,2025
देहरादून। पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाली आबादी हमेशा चुनौतियों से घिरी रहती है। मॉनसून सीजन में बारिश और भूस्खलन अक्सर पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को गहरा जख्म देते आ रहे हैं। हालांकि, ये चुनौतियां 3 से 4 महीने मॉनसून के दौरान की ही होती हैं, लेकिन एक बड़ी चुनौती ऐसी भी है जो अब 12 महीने लोगों की जान आफत में डाल रही है। अब आलम ये है कि इन बढ़ती चुनौतियों के कारण लोगों के मन में डर काफी बढ़ गया है, और ये डर है वन्यजीव और मानव के बीच बढ़ते संघर्ष का।
उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में आबादी के बीच अक्सर गुलदार और बाघों की मौजूदगी दर्ज की जाती है। लेकिन अब भालू ने भी अपनी दस्तक से लोगों की दशहत को कई गुना बढ़ा दिया है। प्रदेश के खासकर गढ़वाल क्षेत्र में भालू द्वारा ग्रामीणों पर हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। दहशत के कारण ग्रामीणों ने शाम होते ही घरों से निकलना बंद कर दिया है। भालुओं के इन हमलों में इस साल अबतक 6 लोगों की मौत हो चुकी है। हालात ये हैं कि विभाग एक जिले से भालू के आतंक को खत्म करने की रणनीति बनाता है, लेकिन तब तक दूसरा जिला भालू से आतंकित हो रहा होता है।
उत्तराखंड का गढ़वाल रीजन इस वक्त भालुओं के आतंक से भयभीत है। ये विशालकाय जानवर लोगों के ऊपर इस कदर हमला कर रहा है कि या तो लोग अपाहिज हो रहे हैं, या अंग-भंग हो रहे हैं या फिर जान गंवा रहे हैं। अपने शिकार को सूंघने में काफी शातिर ये शिकारी दबे पांव दिन और रात लोगों पर हमला कर रहा है। ताजा मामला पौड़ी गढ़वाल जिले का है। बीती 17 नवंबर (सोमवार) की सुबह पौड़ी गढ़वाल के बीरोंखाल ब्लॉक में एक भालू ने 40 वर्षीय लक्ष्मी देवी (पत्नी महिपाल सिंह) पर हमला कर उनको गंभीर रूप से घायल कर दिया। लक्ष्मी देवी हर रोज की तरह ही गांव के पास घास काटने गई थीं। उनके साथ गांव की तीन-चार अन्य महिलाएं भी थीं। इसी दौरान झाड़ियों में छिपे भालू को वो देख न सकीं और भालू ने महिला पर अचानक हमला कर दिया।
भालू का हमला इतना भयानक था कि महिला की हालत बेहद खराब हो गई थी। उनका चेहरा पूरी तरह खून से लथपथ था। महिला की दाईं आंख और सिर पर गंभीर चोटें आई हैं। हमला के दौरान अन्य महिलाएं चीखने लगी जिससे भालू जंगल में भाग लगा। मदद को पहुंचे ग्रामीणों ने लक्ष्मी देवी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरोंखाल पहुंचाया। बेहतर उपचार के लिए उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है। अन्य जानवर भी ले रहे जानरू ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड में भालू ही सबसे ज्यादा आतंकित कर रहे हैं। देखा जाए तो लोगों पर हमला करने में गुलदार सबसे आगे हैं। उत्तराखंड वन विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार, साल 2000 से लेकर 17 नवंबर 2025 तक के आंकड़े बताते हैं कि गुलदार ने अब तक 546 लोगों की जान ली है। जबकि 2,126 लोग घायल हुए हैं। इसी तरह से हाथी ने 230 लोगों की जान ली है। जबकि 234 लोग हाथी के हमले में घायल हुए हैं। इसी तरह बाघ ने 106 लोगों की जान ली है। जबकि 134 लोग घायल किए हैं। इसी तरह से भालू ने 71 लोगों की जान ली, जबकि 2,009 लोग घायल किए हैं। इसके अलावा अन्य जानवर भी उत्तराखंड में लोगों की जान लेते रहे हैं। सर्पदंश के मामले में अब तक 260 लोग मारे जा चुके हैं। जबकि 1,056 लोग सांप के काटने से घायल हुए हैं। जंगली सूअर भी 30 लोगों की जान ले चुके हैं। जबकि 663 लोगों को उन्होंने घायल किया है। बंदर अब तक 211 लोगों को घायल कर चुके हैं। ततैया 10 लोगों की जान ले चुकी हैं और 16 लोगों को घायल कर चुकी हैं। मगरमच्छ भी उत्तराखंड में 9 लोगों की जान ले चुके हैं, जबकि 44 लोग मगरमच्छ के हमलों से घायल हुए हैं।
लगातार घट रही इन जानलेवा घटनाओं के बाद भयग्रस्त ग्रामीणों ने सरकार और वन विभाग से प्रभावी कदम उठाने की मांग की है। ग्रामीणों का आरोप है कि आम आदमी के जीवन की कोई कीमत नहीं रह गई है। इस तरह के हमलों के कारण लोगों का घर से निकलना भी मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इन क्षेत्रों में पिछले कुछ समय से भालू और गुलदार की आवाजाही लगातार बढ़ रही है। ऐसे में संभावित क्षेत्रों में वन विभाग द्वारा गश्त बढ़ाई जाए। हमलावर वन्यजीवों को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए जाएं और मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
