HamariChoupal,23,07,2025
देहरादून। मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, देहरादून के डॉक्टरों ने 68 वर्षीय महिला की जान बचाई, जिन्हें कम्पलीट हार्ट ब्लॉकेज की समस्या थी। मरीज का उपचार उन्नत तकनीक लीडलेस पेसमेकर के माध्यम से किया गया, जिसे न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया द्वारा सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया। देहरादून निवासी गीता कठैत चक्कर आने और बहुत ही धीमी हृदय गति (सिर्फ 42 बीट्स प्रति मिनट) की शिकायत के साथ मैक्स अस्पताल, देहरादून की इमरजेंसी में लाई गईं। सामान्य रूप से हृदय गति लगभग 80 बीट्स प्रति मिनट होती है। मरीज की स्थिति ठीक करके और क्लिनिकल जांच करने के बाद डॉ. पुनिश सदाना, डायरेक्टर, कार्डियक साइंसेस व डॉ. प्रीति शर्मा, डायरेक्टर, कार्डियक साइंसेस मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल देहरादून के नेतृत्व में कार्डियक टीम ने ।अपमत टत् स्मंकसमे च्ंबमउांमत लीडलेस पेसमेकर लगाने का निर्णय लिया।
डॉ. पुनिश सदाना, डारेक्टर, कार्डियक साइंसेज़, मैक्स अस्पताल, देहरादून ने बताया कि, “पारंपरिक पेसमेकर में जहां सीने में चीरा लगाकर वायर को हार्ट से जोड़ा जाता है, वहीं लीड़लैस पेसमेकर में बिना किसी चीरे या टांके के, कैथेटर के माध्यम से पेसमेकर लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि हमने ये लीडलेस पेसमेकर दाहिनी फीमरल वेन (जांघ की नस) के माध्यम से प्रत्यारोपित किया, जिससे सीने में किसी तरह की सर्जरी या तारों की आवश्यकता नहीं पड़ी। पूरी प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हुई और मरीज को सर्जरी के तीन दिन के भीतर छुट्टी दे दी गई।”
डॉ. प्रीति शर्मा, डायरेक्टर, कार्डियक साइंसेज़, मैक्स अस्पताल, देहरादून ने बताया, “लीडलेस पेसमेकर गंभीर हृदय रोगियों के लिए गेम-चेंजर साबित हो रहे हैं। यह नई तकनीक सर्जरी को अधिक सुरक्षित एवं कम जटिल होती है और मरीज की रिकवरी को बेहतर बनाती है। यह विशेष रूप से उन मरीजों के लिए उपयोगी है जो अधिक उम्र के हैं, जिन्हें वैस्कुलर (नसों) से जुड़ी समस्याएं हैं या जिन्हें संक्रमण का खतरा अधिक होता है।” यह सफल प्रत्यारोपण उत्तराखंड और आसपास के क्षेत्रों में उन्नत हृदय देखभाल प्रदान करने के लिए मैक्स अस्पताल, देहरादून की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस प्रकार की एड़वांस तकनीकी अब मरीजों को स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध है, जिन्हें पहले ऐसे इलाज के लिए बड़ें शहरों की ओर रुख करना पड़ता था।