देहरादून ( हमारी चौपाल) उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के झाझरा क्षेत्र में अवैध खनन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार, 23 जुलाई 2025 को झाझरा क्षेत्रांतर्गत अवैध मिट्टी खनन में लिप्त दो ट्रैक्टर-ट्रॉली को प्रशासन ने पकड़ा। इन वाहनों को झाझरा पुलिस चौकी में जमा कराकर सीज कर दिया गया है, साथ ही प्रत्येक वाहन पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस कार्रवाई से क्षेत्र के खनन माफियाओं में हड़कंप मच गया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई अवैध खनन को जड़ से खत्म कर पाएगी?
**बार-बार उजागर हो रही अवैध खनन की समस्या**
झाझरा क्षेत्र में अवैध खनन कोई नई बात नहीं है। स्थानीय समाचार पत्रों और सामाजिक संगठनों ने इस मुद्दे को कई बार उठाया है। इसके बावजूद, खनन माफिया बेखौफ होकर मिट्टी और अन्य खनिजों का अवैध दोहन जारी रखे हुए हैं। यह गतिविधियां न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर क्षति पहुंचा रही हैं। यमुना और अन्य नदियों के किनारे होने वाले अवैध खनन से तटबंध कमजोर हो रहे हैं, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है।
**प्रशासन की कार्रवाई: त्वरित, लेकिन पर्याप्त?**
23 जुलाई को झाझरा चौकी पुलिस को सूचना मिली कि क्षेत्र में अवैध मिट्टी खनन हो रहा है। तत्काल कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मौके पर छापेमारी की, जहां दो ट्रैक्टर-ट्रॉली मिट्टी से लदे हुए पाए गए। चालकों के पास खनन की कोई वैध अनुमति नहीं थी। पुलिस ने दोनों वाहनों को जब्त कर लिया और प्रत्येक पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया। वाहनों को झाझरा चौकी में जमा कराया गया है, और आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाइयां समय-समय पर होती रहती हैं, लेकिन खनन माफियाओं पर इसका स्थायी असर नहीं पड़ता। “हमारी चौपाल को एक स्थानीय ने बताया कि , “हमने कई बार प्रशासन को इस बारे में अवगत कराया है। छोटे-मोटे जुर्माने और वाहन जब्ती से माफिया नहीं डरते। जरूरत है बड़े स्तर पर कार्रवाई की, जिसमें दोषी अधिकारियों को भी जवाबदेह ठहराया जाए।”
**देहरादून में अवैध खनन के खिलाफ सख्ती के निर्देश**
पिछले वर्ष दिसंबर 2024 में देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल ने अवैध खनन के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि अवैध खनन में लिप्त पाए गए अधिकारियों और माफियाओं पर कठोर कार्रवाई की जाएगी, और वाहनों को जब्त कर मुकदमे दर्ज किए जाएंगे। इसके बावजूद, झाझरा जैसे क्षेत्रों में अवैध खनन की घटनाएं रुक नहीं रही हैं।
**पर्यावरण और राजस्व को नुकसान**
अवैध खनन से पर्यावरण को होने वाला नुकसान चिंता का विषय है।
वहीं, खनन माफियाओं की मनमानी से सरकार को हर साल राजस्व में लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी संसद में देहरादून सहित राज्य के कई क्षेत्रों में अवैध खनन का मुददा उठाया था।
**आगे की मांग: सख्ती और पारदर्शिता**
स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि अवैध खनन पर पूरी तरह से अंकुश लगाने के लिए प्रशासन को और सख्त कदम उठाने होंगे। उनके कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:
– **निगरानी बढ़ाई जाए**: ड्रोन और AI-आधारित तकनीकों का उपयोग कर खनन क्षेत्रों पर नजर रखी जाए, जैसा कि उत्तर प्रदेश में शुरू किया गया है।
– **दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई**: केवल चालकों और छोटे स्तर के कारोबारियों पर कार्रवाई न हो, बल्कि उन अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जाए जो खनन माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं।
– **जागरूकता अभियान**: स्थानीय समुदाय को अवैध खनन के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाए, ताकि वे इस तरह की गतिविधियों की शिकायत करने में सक्रिय हों।
झाझरा में दो ट्रैक्टर-ट्रॉली के सीज होने और जुर्माना लगाए जाने की कार्रवाई प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया को दर्शाती है, लेकिन यह समस्या का केवल सतही समाधान है। अवैध खनन को जड़ से खत्म करने के लिए दीर्घकालिक और सख्त उपायों की आवश्यकता है। यदि प्रशासन और स्थानीय समुदाय मिलकर काम करें, तो इस समस्या पर प्रभावी नियंत्रण संभव है।