HamariChoupal,15,09,2025
देहरादून। उत्तराखंड के बेसिक स्कूलों में ड्रॉप आउट घटने के बजाए बढ़ रहा है। यह स्थिति तब चिंताजनक है जब सभी पड़ोसी राज्यों में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या शून्य हो चुकी है। साथ बने छत्तीसगढ़ में स्थिति उत्तराखंड से बहुत बेहतर है तो झारखंड जैसे राज्य भी ड्राप आउट शून्य करने में कामयाब रहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 2024-25 की यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस रिपोर्ट जारी की है। प्री-प्राइमरी से लेकर 12वीं तक के सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों के रियल टाइम डाटा पर आधारित इस रिपोर्ट से उत्तराखंड की प्राइमरी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि देशभर का ड्राप आउट औसत 0.3 है, जबकि उत्तराखंड में प्राइमरी स्तर पर स्कूल छोड़ने वाले बच्चे 0.9 प्रतिशत है। यह पिछले 2023-24 में 0.8 रहा था। साफ है उत्तराखंड में ड्राप आउट पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है और यहां 1000 छात्रों पर नौ छात्र प्राइमरी स्तर पर ही स्कूल छोड़ दे रहे हैं। स्कूल और शिक्षक प्रतिशत ज्यादा उत्तराखंड ऐसे राज्यों में भी शामिल हैं, जहां बुनियादी शिक्षा में स्कूल और शिक्षकों का प्रतिशत छात्र प्रतिशत से अधिक है। यहां प्राइमरी स्कूलों में 18 छात्रों पर एक शिक्षक तैनात है। लेकिन स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार कम हो रही है। माध्यमिक स्तर पर हुआ है बड़ा सुधार बुनियादी शिक्षा में ड्राप आउट बढ़ने के विपरीत अपर प्राइमरी और माध्यम स्तर पर ड्राप आउट घटा है। अपर प्राइमरी में ड्राप आउट 2.3 से घटकर 1.40 हो गया है। जबकि माध्यमिक स्तर पर 5.6 से ड्राप आउट 4.6 हो गया है। यह झारखंड के बाद देश में सबसे सही स्थिति है।