Hamarichoupal,24,08,2025
Anurag Gupta
देहरादून/सेलाकुई( हमारी चौपाल)विकास की अंधी दौड़ और निजी स्वार्थ के चलते उत्तराखंड की प्राकृतिक धरोहर लगातार मिट रही है। सूत्रों के अनुसार, सेलाकुई में ऑन रोड बने चार नए दुकानों के निर्माण के दौरान एक विशाल और हरा-भरा पेड़ बीच में आ रहा था। इसे बचाने के बजाय दिन-दहाड़े काटकर उसकी बलि चढ़ा दी गई। बताया जा रहा है कि यह दुकान किसी डॉक्टर की है और मेडिकल से संबंधित कार्य होना है, जिसकी आड़ में इस पेड़ का कत्ल किया गया।
एक ओर राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा पर आपदा टूट रही है, वहीं दूसरी ओर हरे-भरे पेड़ों को काटकर उत्तराखंड के भूगोल और जलवायु से खुला खिलवाड़ हो रहा है। कभी यह प्रदेश 70% वनों से आच्छादित था, जिसकी आबोहवा इसकी पहचान थी। आज यहां की हवा प्रदूषण से भर चुकी है और राजधानी देहरादून की वादियाँ भी दिल्ली और अन्य महानगरों की तरह दमघोंटू होती जा रही हैं।
हमारी संवाददाता ने जब इस मामले पर झाझरा रेंजर से बात की तो उन्होंने कहा कि “यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। आपके द्वारा जानकारी मिलने पर मैं टीम भेज रही हूँ। रोड पर खड़े पेड़ किसी की निजी संपत्ति में नहीं आते, यदि यह पेड़ काटा गया है तो इसकी जांच होगी और उचित कार्रवाई की जाएगी।” वहीं अटैक फार्म के बीट अधिकारी अजय कुमार ने भी स्वीकार किया कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं था परन्तु उन्होंने तत्काल दरोगा को मौके पर भेजने की बात कही।
बीट अधिकारी अजय कुमार ने बताया कि पेड़ की कटाई के मामले में विभाग ने त्वरित कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि “कटे हुए पेड़ की लकड़ी को कब्जे में ले लिया गया है और संबंधित डॉक्टर के विरुद्ध आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा रही है।”
स्थानीय लोग कहते हैं कि यदि इसी तरह पेड़ों की अंधाधुंध कटाई होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब इंसान को सांस लेने के लिए भी ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर होना पड़ेगा।
यह कटु सत्य है कि हरे-भरे जंगलों की जगह कंक्रीट के जंगल उग रहे हैं और यही विकास कहलाया जा रहा है, जबकि इसका असली परिणाम आपदाओं और प्रदूषण के रूप में हम सबके सामने है।