देहरादून ( हमारी चौपाल ) उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग (UCPCR) ने आज देहरादून के केहरी गांव, प्रेम नगर स्थित जीआरडी स्कूल का औचक निरीक्षण किया, जिसमें कई चौंकाने वाली अनियमितताएं सामने आईं। यह निरीक्षण 24 जुलाई, 2025 को अभिभावकों द्वारा स्कूल के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत के बाद किया गया था।
आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना की अध्यक्षता में सचिव डॉ. शिव कुमार बरनवाल और अनुसचिव डॉ. सतीश कुमार सिंह की टीम ने पाया कि स्कूल एक बड़े परिसर में संचालित हो रहा है, लेकिन इसमें कक्षाओं की संख्या बहुत कम है। निरीक्षण के दौरान, एक 4 वर्षीय बच्चा शब्दावली लिखते हुए मिला, जिससे स्पष्ट होता है कि स्कूल नई शिक्षा नीति का पालन नहीं कर रहा है, जो छोटे बच्चों पर अकादमिक बोझ डालने के खिलाफ है।
शिक्षकों की योग्यता और दस्तावेज़ों का अभाव
प्ले ग्रुप में कार्यरत शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं थे, जो बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। प्रधानाचार्य का कक्ष भी एक सामान्य कमरे जैसा था, जिसमें केवल 6 रजिस्टर और ओपन यूनिवर्सिटी के कुछ कागजात मिले। स्कूल संचालन से संबंधित कोई भी आवश्यक दस्तावेज निरीक्षण टीम के सामने पेश नहीं किया गया।
मान्यता से अधिक कक्षाओं का संचालन और परिसर का साझा उपयोग
स्कूल द्वारा प्रस्तुत मान्यता संबंधी दस्तावेज के अनुसार, उसे केवल कक्षा 6 तक के संचालन की अनुमति है, लेकिन इसके बावजूद स्कूल कक्षा 7 तक संचालित हो रहा है। स्कूल प्रबंधन ने दावा किया कि उन्हें कक्षा 8 तक की मान्यता प्राप्त है, लेकिन इस दावे के समर्थन में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि स्कूल परिसर में बिना किसी स्पष्ट विभाजन या दीवार के एक डिग्री कॉलेज का भी संचालन किया जा रहा है। हालांकि, डिग्री कॉलेज आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर होने के कारण उसका निरीक्षण नहीं किया गया, लेकिन यह एक गंभीर विचारणीय विषय है कि एक ही परिसर में स्कूल और कॉलेज कैसे और किसकी अनुमति से संचालित हो रहे हैं।
स्कूल संस्थापक का आपराधिक इतिहास और सुरक्षा चिंताएं
यह भी सामने आया कि स्कूल के संस्थापक पहले बाल अत्याचार और क्रूर व्यवहार के लिए जेल जा चुके हैं और स्कूल को भी पहले बंद कर दिया गया था। आयोग की अध्यक्ष ने इस पर जोर दिया कि किसी भी संस्था को केवल कागजी कार्रवाई के आधार पर स्कूल चलाने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूल संचालन के लिए ऐसे मानक तय किए जाने चाहिए जिनमें योग्य व्यक्तियों का चयन और सत्यापन मानवीय दृष्टिकोण, शैक्षणिक योग्यता और सामाजिक प्रतिष्ठा के आधार पर किया जाए, ताकि विद्यार्थियों को सुरक्षित वातावरण और आदर्श चरित्र निर्माण की सीख मिल सके।
खेल के मैदान की दयनीय स्थिति
स्कूल के खेल के मैदान की स्थिति भी बेहद खराब पाई गई। मैदान में अत्यधिक काई और फिसलन थी, जिससे बच्चों के चोटिल होने का खतरा बना हुआ है। मैदान में कई फलदार वृक्ष भी कटे हुए पाए गए, जिसकी सूचना संबंधित मंत्री और विभाग को त्वरित कार्रवाई के लिए दे दी गई है।
विकासनगर और बुलाकीवाला में अन्य मामले
इसी क्रम में, उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने आज विकासनगर ब्लॉक में पहले से लंबित मामलों की भी सुनवाई की। सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल के मामले में, आयोग द्वारा पूर्व में दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा था। इस पर, खंड शिक्षा अधिकारी, विकासनगर को प्रकरणों पर आयोग के निर्देशों का त्वरित अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।
इसके अतिरिक्त, राजकीय प्राथमिक विद्यालय बुलाकीवाला में पानी की टंकी और शौचालय की जांच पर, विद्यालय का मूल्यांकन कर मरम्मत सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए।