देहरादून, 19 जुलाई। ( हमारी चौपाल): देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल ने एक बार फिर अपनी संवेदनशीलता और त्वरित न्याय प्रणाली का परिचय दिया है। एक मार्मिक मामले में, उन्होंने बुजुर्ग माता-पिता को उनके ही बेटे द्वारा संपत्ति से बेदखल करने और पोते-पोतियों से मिलने पर रोक लगाने के मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए, मात्र 3 दिनों के भीतर गिफ्ट डीड को रद्द कर दिया। इस साहसिक निर्णय ने न केवल पीड़ित बुजुर्ग दंपत्ति, सरदार परमजीत सिंह और उनकी पत्नी अमरजीत कौर को न्याय दिलाया है, बल्कि समाज में एक कड़ा संदेश भी दिया है कि माता-पिता का तिरस्कार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
यह मामला तब सामने आया जब बुजुर्ग परमजीत सिंह ने अपनी 3080 वर्ग फुट की संपत्ति, जिसमें दो बड़े हॉल शामिल थे, अपने पुत्र गुरुविंदर सिंह के नाम एक गिफ्ट डीड के माध्यम से कर दी थी। इस डीड में स्पष्ट शर्तें थीं कि पुत्र को अपने माता-पिता का भरण-पोषण करना होगा, उनके साथ रहना होगा, और पोते-पोतियों को दादा-दादी से दूर नहीं करना होगा।
हालांकि, संपत्ति अपने नाम होते ही पुत्र गुरुविंदर सिंह ने इन शर्तों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया। उसने अपने माता-पिता से दूरी बना ली और पोते-पोतियों को भी उनसे मिलने नहीं दिया। बेटे के इस व्यवहार से आहत और घर से बेदखल किए गए बुजुर्ग दंपत्ति ने तहसील, थाना और अवर न्यायालय के दरवाज़े खटखटाए, लेकिन उन्हें कहीं से राहत नहीं मिली।
अंततः, थक-हार कर बुजुर्ग दंपत्ति ने डीएम न्यायालय का रुख किया। जिलाधिकारी बंसल ने मामले की गंभीरता को समझते हुए, पहली सुनवाई में ही अपनी कलम चला दी। उन्होंने भरणपोषण अधिनियम की विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए, विधिवत सुनवाई और विपक्षी गुरुविंदर सिंह को पर्याप्त अवसर देने के बाद भी उनकी अनुपस्थिति और आपत्ति प्रस्तुत न करने पर, गिफ्ट डीड को तत्काल रद्द कर दिया। डीएम के आदेशानुसार, रजिस्ट्री कार्यालय से भी त्वरित अनुपालन किया गया और 3080 वर्ग फीट की संपत्ति पुनः बुजुर्ग दंपत्ति के नाम कर दी गई।
डीएम बंसल का यह फैसला, जहां एक ओर सामाजिक कर्तव्य से विमुख लोगों को न्याय प्रणाली के माध्यम से रास्ता दिखा रहा है, वहीं दूसरी ओर असहाय और जरूरतमंद लोगों को त्वरित न्याय मिलने का आश्वासन भी देता है। जिलाधिकारी सविन बंसल की कार्यप्रणाली सदैव असहाय, बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों और आम जनमानस के हित में रही है। जिला प्रशासन देहरादून द्वारा ऐसे संवेदनशील विषयों पर सक्रिय होकर त्वरित निर्णय लिए जा रहे हैं, जो जनमानस के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और कर्तव्यनिष्ठा को दर्शाता है।
इस न्यायपूर्ण निर्णय से बुजुर्ग सरदार परमजीत सिंह और उनकी पत्नी अमरजीत कौर की आंखों में आंसू छलक पड़े, जो राहत और कृतज्ञता के थे। यह घटना समाज के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है कि माता-पिता का सम्मान और देखभाल हमारा सर्वोच्च कर्तव्य है, और इसका उल्लंघन करने वालों को कानून की नज़र में बख्शा नहीं जाएगा।
देहरादून डीएम की त्वरित कार्रवाई: बेटे द्वारा बेदखल किए गए बुजुर्ग दंपत्ति को 3 दिन में मिला न्याय, गिफ्ट डीड रद्द
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