देहरादून ( हमारी चौपाल) देवभूमि उत्तराखंड को शर्मसार कर देने वाली एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे समाज को झकझोर दिया है। दून अस्पताल के पीआईसीयू वार्ड में भर्ती 5 वर्षीय बालक के साथ की गई क्रूरता पर उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने गहरा क्षोभ जताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।
डॉ. खन्ना ने अस्पताल में घायल बालक से मुलाकात के दौरान उसकी स्थिति पर चिंता जताई और मामले की गंभीरता को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि आरोपी महिला मानसिक रूप से अस्वस्थ प्रतीत होती है, लेकिन उसके पति द्वारा यह बात छुपाई गई। पड़ोसियों ने भी घटना से पूर्व महिला के असामान्य व्यवहार की जानकारी दी, जिसमें उसने बच्चे को विशेष रूप से “प्यारा” बताना और चाकू माँगना जैसे संकेत दिए थे।
आयोग अध्यक्ष ने कहा:
> “बाहरी राज्यों से बिना पुलिस सत्यापन के आकर किराए पर रहने वाले लोगों द्वारा इस प्रकार की घटनाएं घटित होना गंभीर चिंता का विषय है। मकान मालिकों की लापरवाही समाज के लिए खतरा बन रही है।”
उन्होंने प्रशासन और समाज से इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने हेतु निम्न सुझाव दिए:
– बिना पुलिस सत्यापन के किसी भी व्यक्ति को किराए पर न रखा जाए।
– आपराधिक एवं मानसिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड की जांच अनिवार्य हो।
– स्थानीय नागरिकों को सजग रहकर असामान्य गतिविधियों की सूचना संबंधित अधिकारियों को देनी चाहिए।
यह घटना केवल एक बच्चा ही नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक सजगता और मानवीय मूल्य की परीक्षा भी है। आयोग ने संबंधित विभागों से त्वरित कार्रवाई की मांग की है ताकि बाल सुरक्षा की भावना मात्र शब्दों तक सीमित न रहे।