हमारी चौपाल ब्यूरो रिपोर्ट
देहरादून/नैनीताल। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की तिथियों को लेकर उच्च न्यायालय में अहम सुनवाई हुई। प्रदेश में बरसात, कांवड़ यात्रा, चारधाम यात्रा और आपदा की संभावना को देखते हुए चुनाव को अगस्त तक टालने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से चुनावी तैयारियों की जानकारी मांगी।
सुनवाई के दौरान डीजीपी और पंचायती राज सचिव ने अदालत को बताया कि पहला चरण 24 जुलाई को और दूसरा चरण 28 जुलाई को निर्धारित है। प्रशासन और पुलिस ने इस दौरान सभी जरूरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने का भरोसा दिलाया।
डीजीपी ने अदालत को जानकारी दी कि पुलिस बल का 30% हिस्सा कांवड़ यात्रा में ड्यूटी पर है, 10% चारधाम और आपदा प्रबंधन में लगा है, जबकि 10% बल नियमित कार्यों में तैनात है। शेष 50% पुलिस बल को चुनाव ड्यूटी के लिए लगाया गया है और किसी प्रकार की बाधा की आशंका नहीं है। पुलिस का पूरा फोकस 24 जुलाई को पहले चरण के मतदान पर है, जबकि कांवड़ यात्रा 23 जुलाई को समाप्त हो रही है।
वहीं, सचिव पंचायती राज ने बताया कि जो क्षेत्र कांवड़ यात्रा से प्रभावित हैं जैसे गढ़वाल, यमकेश्वर ब्लॉक और धार्मिक क्षेत्र – वहां मतदान 28 जुलाई को निर्धारित है। ऐसे में यात्रा का चुनाव पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि राज्य में पहले से ही आपदा की दृष्टि से मॉक ड्रिल और पूर्वाभ्यास कर लिए गए हैं। चारधाम यात्रा और हेमकुंड यात्रा पर यात्रियों की संख्या वर्तमान में केवल 10% है।
हालांकि, अदालत के समक्ष यह भी पक्ष रखा गया कि राज्य में वर्तमान में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही है, साथ ही चारधाम, कैचुअल यात्रा, और आपदा सीजन भी जारी है। इस स्थिति में चुनावी प्रक्रिया को लेकर कुछ क्षेत्रों में असहजता और जोखिम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
जनहित याचिका में दलील दी गई कि शासन, पुलिस और राहत कार्यों से जुड़े अधिकारी पूरी तरह व्यस्त हैं, जिससे पंचायत चुनाव को सुरक्षित ढंग से कराना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। याचिकाकर्ता ने आग्रह किया कि चुनाव अगस्त में कराए जाएं जब मौसमी स्थितियां कुछ हद तक सामान्य हों।
कोर्ट ने पूरे मामले की वास्तविकता पर आधारित विश्लेषण करते हुए संबंधित अधिकारियों को आगामी मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होकर न्यायालय का मार्गदर्शन लेने का निर्देश दिया है।