हल्द्वानी, 07 जुलाई 2025: उत्तराखंड को “ड्रग्स फ्री” बनाने के माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की गई है! कुमाऊं परिक्षेत्र में मादक पदार्थों के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी और सुनियोजित कार्यवाही को अंजाम देते हुए, पुलिस महानिरीक्षक कुमाऊं रिद्धिम अग्रवाल के नेतृत्व में एक रिकॉर्ड कायम किया गया है.
हाल ही में, परिक्षेत्र के सभी जिलों में विभिन्न अभियोगों से जब्त किए गए कुल 914.91 किलोग्राम मादक पदार्थों का वैज्ञानिक, विधिसम्मत और पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप सफलतापूर्वक निस्तारण किया गया. यह विशाल खेप 324 अलग-अलग मामलों से संबंधित थी, जिसे ग्लोबल इनवायरमेंटल साल्यूशन, लम्बाखेड़ा (रुद्रपुर) में दहन विधि से नष्ट किया गया.
नशे के खिलाफ युद्ध में नया कीर्तिमान!
यह कार्यवाही केवल एक सामान्य अभियान नहीं थी, बल्कि 26 जून को मनाए गए अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष प्रयास का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य समाज में नशे के प्रति जनजागरूकता को और अधिक प्रभावी बनाना था.
आंकड़े खुद गवाही दे रहे हैं:
* वर्ष 2022: 53 अभियोगों में 292 किग्रा
* वर्ष 2023: 134 अभियोगों में 719 किग्रा
* वर्ष 2024: 77 अभियोगों में 57.699 किग्रा
* वर्ष 2025: 324 अभियोगों में 914.91 किग्रा (अब तक का सर्वाधिक!)
आप देख सकते हैं कि इस वर्ष का 914 किलोग्राम से अधिक का निस्तारण एक नया कीर्तिमान है! यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कुमाऊं पुलिस अब पहले से कहीं अधिक सख्ती, समन्वय और प्रतिबद्धता के साथ नशे के विरुद्ध इस लड़ाई में जुटी है.
आई.जी. कुमाऊं रिद्धिम अग्रवाल की दूरदर्शिता और सक्रियता
इस शानदार सफलता के पीछे आई.जी. कुमाऊं रिद्धिम अग्रवाल की व्यक्तिगत रुचि, निरंतर फॉलोअप और पारदर्शिता की स्पष्ट छाप देखी जा सकती है. उन्होंने न केवल सभी जनपदों के थाना स्तर तक व्यक्तिगत संपर्क स्थापित किया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि माननीय न्यायालयों से स्वीकृत मामलों में जब्त मादक पदार्थ अनावश्यक रूप से मालखानों में लंबित न रहें या खराब न हों.
यह विशेष अभियान इतना व्यापक था कि इसमें वर्ष 1985, 1995 और 1998 जैसे अत्यंत पुराने अभियोगों में मालखानों में वर्षों से लंबित पड़े मादक पदार्थों सहित वर्ष 2025 तक के मामलों को भी चिह्नित कर उनका निस्तारण किया गया. यह न केवल एक रिकॉर्ड उपलब्धि है, बल्कि पुलिस की न्यायिक प्रक्रिया के प्रति गंभीरता और संवेदनशीलता को भी दर्शाता है.
आई.जी. महोदया ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि निस्तारण की प्रक्रिया शीघ्र, पारदर्शी और पूर्णतः विधिसम्मत हो. इससे न केवल पुलिस मालखानों पर अनावश्यक बोझ कम हुआ है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में भी तेजी और स्पष्टता आई है.
एक मील का पत्थर: समाज और पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता
यह अभियान सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि समाज के प्रति पुलिस की नैतिक प्रतिबद्धता, पर्यावरणीय चेतना और जनहित के संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ है.
आई.जी. महोदया ने कुमाऊं परिक्षेत्र के सभी जनपद प्रभारियों को निर्देशित किया है कि यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहेगी. यह संदेश साफ है: उत्तराखंड को नशामुक्त बनाने का यह अभियान रुकने वाला नहीं है, और कुमाऊं पुलिस इसमें सबसे आगे खड़ी है!