देहरादून, 05मई 2025(हमारी चौपाल) उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ राजेंद्र सिंह बिष्ट ने रविवार को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के जनसंपर्क अधिकारी अशोक शाह को एक ज्ञापन सौंपते हुए विधानसभा में कार्यरत प्रोटोकॉल अधिकारी मयंक सिंघल को तत्काल पद से हटाने की मांग की। बिष्ट ने मयंक सिंघल पर फर्जी शैक्षणिक प्रमाणपत्रों के आधार पर राजपत्रित अधिकारी पद तक पहुंचने का गंभीर आरोप लगाया।
बिष्ट ने कहा कि वर्ष 2006 में मयंक सिंघल को उप प्रोटोकॉल अधिकारी के पद पर तदर्थ रूप से नियुक्त किया गया था, जबकि विधानसभा सचिवालय सेवा नियमावली के अनुसार इस पद पर नियुक्ति के लिए स्नातक उपाधि अनिवार्य है। बावजूद इसके, मयंक सिंघल को क्रमिक रूप से पदोन्नति देकर प्रथम श्रेणी राजपत्रित अधिकारी पद तक पहुंचाया गया।
फर्जी प्रमाणपत्रों का खुलासा
सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों में खुलासा हुआ है कि मयंक सिंघल ने अपनी 10वीं की परीक्षा गुरुकुल विश्वविद्यालय, वृंदावन (मथुरा) से “अधिकारी परीक्षा (व्यक्तिगत)” के रूप में दर्शाई है। जबकि उत्तराखंड एसआईटी की जांच रिपोर्ट के अनुसार, इस विश्वविद्यालय में व्यक्तिगत माध्यम से 10वीं की परीक्षा संचालित ही नहीं होती। इसी प्रकार, उनकी 12वीं की ‘पंडित परीक्षा’ को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने इंटरमीडिएट के समकक्ष कभी मान्यता नहीं दी है। इतना ही नहीं, जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि इंटरमीडिएट का प्रमाणपत्र 10वीं के प्रमाणपत्र से पूर्व जारी हुआ, जिससे दस्तावेजों की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा होता है।
नियुक्ति घोटाले की अनदेखी
उक्रांद के केंद्रीय महामंत्री बृज मोहन सजवाण ने आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा वर्ष 2022 में गठित जांच समिति ने केवल 2015 के बाद की नियुक्तियों की समीक्षा कर खानापूर्ति कर दी, जबकि मयंक सिंघल जैसे अधिकारी की नियुक्ति और पदोन्नति में भी नियमों की खुलेआम अनदेखी की गई।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब उप प्रोटोकॉल अधिकारी समूह ‘ग’ का पद है, तो मयंक सिंघल का नाम उत्तराखंड के किस रोजगार कार्यालय में पंजीकृत हुआ था? साथ ही, जब उनकी 10वीं और 12वीं की डिग्रियां ही अमान्य हैं, तो स्नातक में प्रवेश किस आधार पर मिला?
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की मांग
राजेंद्र बिष्ट ने कहा कि मयंक सिंघल का यह कृत्य भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, भारतीय दंड संहिता और कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत दंडनीय है। उन्होंने मांग की कि विधानसभा अध्यक्ष तत्काल उनके खिलाफ जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराएं और अब तक दिए गए वेतन व अन्य लाभों की वसूली की जाए।
सप्ताह भर की चेतावनी, नहीं तो आंदोलन
उक्रांद नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि एक सप्ताह के भीतर मयंक सिंघल के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो दल सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन करेगा और न्यायालय में भी इस लड़ाई को आगे बढ़ाएगा।
सरकार की दोहरी नीति पर सवाल
दल के नेता परवीन चंद रमोला ने कहा कि एक ओर राज्य सरकार रोजगार पर रोक लगाकर युवाओं का मानसिक शोषण कर रही है, वहीं दूसरी ओर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त हुए अधिकारियों को संरक्षण दे रही है, जो आम जनमानस की भावना के साथ खिलवाड़ है।
इस अवसर पर उक्रांद के केंद्रीय उपाध्यक्ष जय प्रकाश उपाध्याय, महामंत्री बृज मोहन सजवाण, केंद्रीय महामंत्री किरण रावत, पूर्व युवा अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बिष्ट, परवीन चंद रमोला, भोला दत्त चमोली, मनीष रावत, अनूप बिष्ट, मनोज कंडवाल, निषित मनराल सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।