देहरादून, 04मई 2025(हमारी चौपाल) उत्तराखंड में बायोमेट्रिक मशीन से हाजिरी की अनिवार्यता को लेकर राज्य के लाखों कर्मचारी और शिक्षक आक्रोशित हैं। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा उत्तराखंड के प्रदेश प्रभारी विक्रम सिंह रावत ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यह व्यवस्था राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों और तकनीकी सीमाओं के अनुकूल नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने शीघ्र संज्ञान नहीं लिया तो संगठन राज्यव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
रावत ने कहा, “राज्य के कर्मचारी-शिक्षक हर समय सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में सक्रिय रहते हैं। लेकिन उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों, कमजोर नेटवर्क व्यवस्था और बार-बार बदलते मौसम के चलते बायोमेट्रिक हाजिरी से उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है।”
उन्होंने कहा कि अति दुर्गम क्षेत्रों में सेवा दे रहे शिक्षक और कर्मचारी जोखिम उठाकर कार्य करते हैं, लेकिन इस नई व्यवस्था से उनका मनोबल टूट रहा है। मानसिक तनाव बढ़ रहा है और कुछ मामलों में जानलेवा दुर्घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं। “ऐसे में यदि सरकार ने इस पर ठोस निर्णय नहीं लिया, तो यह राज्य के विकास कार्यों को भी पीछे धकेल देगा,” उन्होंने कहा।
विक्रम सिंह रावत ने दो टूक कहा, “हम बायोमेट्रिक हाजिरी के विरोध में नहीं हैं, लेकिन उत्तराखंड की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए इसका पुनर्विचार आवश्यक है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सचिव स्तर के अधिकारी देहरादून में बैठकर पूरे राज्य को निर्देश देते हैं, जबकि कई कार्यालय जैसे पौड़ी, टिहरी, अल्मोड़ा, गैरसैंण में स्थापित हैं। “कैंप ऑफिस देहरादून में संचालित करना और दुर्गम क्षेत्रों की जमीनी सच्चाई से मुंह मोड़ना, प्रदेश के कर्मचारियों और आम जनता के साथ अन्याय है।”
रावत ने बताया कि यदि सरकार ने शीघ्र सकारात्मक पहल नहीं की तो इस विषय को संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. पी. सिंह रावत तक पहुँचाया जाएगा, और फिर प्रदेश भर में सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा। उन्होंने सभी कर्मचारी संगठनों से भी एकजुट होकर इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की अपील की।
“प्रदेश के शिक्षक और कर्मचारी इस अन्याय के खिलाफ अब चुप नहीं बैठेंगे,” – विक्रम सिंह रावत ने चेतावनी देते हुए कहा।