देहरादून(आरएनएस)। उत्तराखंड राज्य में नवचयनित औषधि निरीक्षकों के लिए FDA भवन, देहरादून में 21 अप्रैल 2025 से एक सुदृढ़ एवं व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इस अवसर पर स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त, खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन, डॉ. आर. राजेश कुमार ने प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह नियुक्ति केवल एक पद नहीं बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त करने की एक अहम जिम्मेदारी है।
डॉ. राजेश कुमार ने निर्देश दिए कि राज्य में हर नागरिक को गुणवत्तायुक्त, मानक स्तर की औषधियाँ समय पर उपलब्ध हों, यह सुनिश्चित करना औषधि निरीक्षकों की मुख्य प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि औचक निरीक्षण, नियमित नमूना संग्रहण, भंडारण स्थलों की निगरानी और यात्रा मार्गों पर दवा उपलब्धता जैसे बिंदुओं पर विशेष फोकस किया जाए। उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य सेवा का एक मजबूत आधार यह है कि जनता को भरोसेमंद और प्रभावी औषधियाँ मिलें। निरीक्षकों को अपने कार्यक्षेत्र में ईमानदारी, निष्पक्षता और सजगता के साथ कार्य करना होगा।”
अपर आयुक्त, खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन, ताजबर सिंह जग्गी ने भी प्रशिक्षण की आवश्यकता और महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक सशक्त बुनियाद है, जिस पर भविष्य की औषधि निगरानी प्रणाली का निर्माण होगा। उन्होंने कहा “प्रशिक्षण का उद्देश्य निरीक्षकों को कानूनी, नैतिक, तकनीकी और व्यावहारिक हर पहलू में दक्ष बनाना है। इससे वे नकली, घटिया और अनुचित दवाओं के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही कर सकें।” उन्होंने कहा यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आगामी सप्ताहों में विभिन्न चरणों में आयोजित किया जाएगा, जिसमें कक्षा शिक्षण, प्रायोगिक अभ्यास, केस स्टडी और फील्ड विज़िट शामिल हैं। यह पहल उत्तराखंड राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली को न केवल आधुनिक बनाएगी, बल्कि राज्य को स्वस्थ और सुरक्षित समाज की दिशा में अग्रसर भी करेगी।
प्रशिक्षण में इन विषयों पर किया गया फोकस :-
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940
स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985
औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ)
औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम
नमूनाकरण, न्यायिक प्रक्रिया, पुलिस समन्वय
प्रशिक्षण में देश के विभिन्न राज्यों से आमंत्रित अनुभवी विशेषज्ञ भी प्रतिभाग कर रहे हैं जो अपने वर्षों के अनुभव से प्रशिक्षुओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
नरेंद्र आहुजा, भूतपूर्व औषधि नियंत्रक, हरियाणा ने कहा, “औषधि निरीक्षकों की भूमिका केवल निरीक्षण तक सीमित नहीं, वे जनता के स्वास्थ्य के रक्षक हैं। उन्हें तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ संवेदनशीलता और त्वरित निर्णय क्षमता भी विकसित करनी होगी।”
उड़ीसा के भूतपूर्व औषधि नियंत्रक, महापात्रा ने कहा, “अंतरराज्यीय औषधि निगरानी तंत्र को समझना और उसमें सक्रिय सहभागिता आज की आवश्यकता है। औषधि निरीक्षकों को राज्यों के समन्वय में भी दक्ष होना चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुशांत महापात्रा ने अपने सत्र में औषधि से संबंधित मामलों की न्यायिक प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “विधिक ज्ञान एक निरीक्षक के लिए उतना ही आवश्यक है जितना तकनीकी ज्ञान। सही कानूनी प्रक्रिया का पालन ही कार्रवाई को टिकाऊ बनाता है।”
यूएसएफडीए एवं डब्ल्यूएचओ से जुड़ी विशेषज्ञ अर्चना बहुगुणा ने वैश्विक मानकों की जानकारी साझा करते हुए कहा, “यदि हम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप निरीक्षण प्रणाली विकसित करें तो न केवल जनता को लाभ मिलेगा बल्कि भारतीय दवा उद्योग की वैश्विक प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी।”